वीरेन्द्र सेंगर की कलम से
सालों के लंबे ऊहापोह के बाद भाजपा नेतृत्व ने एक तरह से मान लिया है कि ‘हार्ड लाइन’ ही पार्टी के लिए राजनीतिक ‘संजीवनी’ बन सकती है। लोकसभा के चुनाव में लगातार दो करारी हार के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी दबाव बढ़ गया है। दूसरी तरफ, कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी खराब सेहत के कारण हाशिए पर चले गए हैं। उनके बाद पार्टी में दूसरे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी रहे हैं। उन्हें भी संघ के दबाव में हाशिए पर ला खड़ा किया गया है। संघ ने दबाव बनाकर नितिन गडकरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बैठवा दिया है। गडकरी की सबसे बड़ी पूंजी यही मानी जाती है कि वे संघ नेतृत्व के सबसे भरोसे के नेता हैं। संघ परिवार का दबाव रहा है कि पार्टी अपनी मूल दशा और दिशा से भटके नहीं। वरना न घर की रहेगी, न घाट की । पूरा पढें बात-बेबात पर
26.7.10
मोदी के रास्ते पर जाएगी भाजपा!
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2 comments:
श्री अटल जी के बाद भाजपा में कोई ऐसा नेता नहीं बचा है जिसकी बात पार्टी के सभी सदस्य माने, सब अपनी मनमानी कर रहे हैं। भाजपा को जरूरत है राहुल गांधी जैसे किसी व्यक्ति के नेतृत्व की। मेरी नजरिये से तो श्री नरेंद्र मोदी ही भाजपा को संभाल सकते है।
भा.ज.पा.को राहुल जैसे नेता की जरुरत नहीं है देश भक्त और भारत की मिटटी से जुड़े कार्यकर्ता की जरुरत है इस समय सोनिया कंपनी हिंदुत्व को समाप्त कर भारतीयता को समाप्त करना चाहती है.a
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