Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

25.7.10

अबूझमाड़ के आदिवासिओ के बीच बिताये पल

 अबूझमाड़ के आदिवासिओ के बीच बिताये पल

नक्सलवाद के चलते भोले-भाले अबुझ्मद के आदिवासी विसम परिस्थितियो में जीवन बिता रहे है. विगत दिनों इन आदिवासिओ के बीच एक दिन बिताया. प्रस्तुत है उनके जीवन की कुछ तस्वीरें.

शराब पीकर मस्त पड़े ये आदिवासी किसी अजनबी से बात तक करने से डरते है.









इनका बस यही पहनावा है.


स्वयं उतारी ताड़े और सल्फी पीकर आनंद में मस्त रहते है.

एक परिवार
ताड़ी

भोज के लिए तैयार करती भोजन के लिए पत्तल और दौना

इन विसम परिस्थितियो में भी मुस्कराता मासूम चहरा

आजीविका के लिए हाड तोड़ म्हणत करती स्त्री

पति पत्नी दोनों शराब पीकर काम करते है. बॉस की टोकरी और अन्य घरेलु चीजे बनाकर बेचते है. जिससे उन्हें मुस्किल से पचास रूपये हफ्ते में मिल पता है.

वनों पर आश्रित आदिवासी बरसात में अनाज न होने पर महुआ खाकर जीते है.

शासकीय योजनाए यहाँ ठप्प है. यह है आश्रम शाला जहा आदिम जाती विभाग के बच्चे रहकर पढ़ते है.

नारायणपुर बस्तर में बिताए एक दिन की हल्की सी झलक थी यह.

2 comments:

मनोज कुमार said...

यह पोस्ट उस आदिवासी इलाक़े का टोटल प्रभाव उत्पन्न करता है।

26.07.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/

सम्पादक, अपनी माटी said...

This picture shows actual part of most of the india. keep it up.good photos to think over again about our policies