कैमोर. सीमेंट बनाना मतलब प्रदूषण पैदा करना है. यह प्रदूषण कार्बन डाई आक्साइड को पर्यावरण में छोड़ता है. पर्यावरण के लिए आज के लिए घातक साबित होने वाला ग्लोबल वार्मिंग हवा में कार्बनडाई आक्साईड की अधिकता के कारन हो रहा है. और सीमेंट प्लांट दुनिया में पांच प्रतिशत कार्बनडाई आक्साइड हवा में उत्सर्जित करके पर्यावरण को सबसे अधिक घातक बन गए.
और सबसे बड़ी पर्यावरण को नुकसानदायक बात तो यह है की सीमेंट से बनी वस्तुओ को नष्ट करके दुबारा सीमेंट नहीं बनाया जा सकता है अर्थात इसकी रिसाईकिलिंग नहीं की जा सकती है. प्रत्येक नई सड़क के निर्माण एवं भवन तथा अन्य किसी भी प्रकार के निर्माण में नई सीमेंट ही लगती है.
मध्य प्रदेश के कटनी जिले के कैमोर में स्थापित ए सी सी सीमेंट प्लांट यहाँ बसे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर तो डाल ही रहा है साथ ही यह पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक उद्योग है. दुनिया के सभी सीमेंट उत्पादक इसे बखूबी जानते और समझते है,.
बदलती आबोहवा के लिए सर्वाधिक यदि कोई जिम्मेदार है तो वह है सीमेंट उद्योग से निकलने वाली डस्ट. प्रदूषण के लिए सीमेंट उद्योग की जिम्मेवारी पर आज एक वैश्विक बहस की जरूरत है क्योंकी नवीन शाला भवनों, अस्पतालों एवं भवनों के निर्माण के लिए तो इसकी आवश्यकता जीवन भर समाप्त ही नहीं होना है.
दुनिया की सर्वाधिक सीमेंट उत्पादक कंपनी लाफार्ज ने कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा को ७६३ पौंड प्रति टन से कम नहीं कर सकी है. ए सी सी कैमोर ने तो इस क्षेत्र में कोई भी ठोस कदम तक नहीं उठाये है. सीमेंट की मांग प्रतिदिन बढ़ने से स्वाभाविक तौर पर इसके उत्पादक अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में प्रति वर्ष उत्पादन बढ़ाते जा रहा हैं जबकी ईसकी तुलना में पर्यावरण सरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के कोई भी उपाय नहीं किये जा रही.
कैंसर, अस्थमा और साँस की अन्य बीमारियों से लेकर अम्लीय वर्षा के चलते ऐतीहासिक मूर्तियों का क्षय, फसल एवं जंगलों की बर्बादी या जलीय प्रदूषण तक के लिए वायु प्रदूसन जिम्मेवार है. किसी एक जगह पर रह रहे लोगो पर बहुत बुरा असर छोडती है. हर पल बीत रही आपकी जिन्दगी की हर साँस मौत का सुर सुनाती है.
हालत यही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हम बाज़ार से आक्सीजन के पैकेट लेकर साँस लेते फिरेंगे. कुछ वर्ष पूर्व क्या हमने कभी सोचा था की हम पानी खरीदकर पियेंगे ? हमारे पास ईश्वर से प्रार्थना करने के सिवाय और कोई रास्ता बचा ही नहीं है.
कैमोर बस्ती से सटी खदानों में दिन में कई-कई बार होने वाले धमाके ने पूरे क्षेत्र के मकानों को अपनी चपेट में ले रखा है. पक्के मकानों में जगह-जगह से दरारे आसानी से देखी जा सकती है. वर्षा के दिनों में यहाँ कभी भी भूस्खलन की संभावना बड़े खतरे की आशंका से लोगो को भयभीत किये रहती है. ब्लास्टिंग से उड़ने वाली धुल, मिट्टी व पत्थरो के टुकड़े घरों में आकार गिरते है जिससे आँगन में खेलने वाले बच्चे और बाहर बैठे बुजुर्ग कई बार घायल तक हो चुके है. धूल के कारण क्षेत्र के लोगो को तेजी से स्वांस की बीमारी पकड़ रही है. यहाँ के नागरिकों ने बताया की ए सी सी से निकलने वाले वाहन से उड़ने वाली धुल ही यहाँ के लोगो के स्वस्थ्य को नुक्सान पहुचाने के लिए काफी है. इस सम्बन्ध में प्रदूषण नियंत्रण विभाग के आला अधिकारी कभी भी ध्यान नहीं देते.
कैमोर के निवासी बारिश के मौसम में और भी परेशान हो जाते है. नजदीक की खदानों की मिट्टी बारिश के पानी के कारण साथ बहकर सड़क तथा नालियों में जमा हो जाती है है. जिसके कारण सड़क जहाँ कीचड से सन जाती है वही नालियां चोक हो जाने के कारण पानी सड़कों में भर जाता है. जिससे लोगो का पैदल चलना भी कठिन हो जाता है.
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