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25.7.10

अब साहित्य का भी सम्मान

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशक वैसे तो मूल रूप से एक कवि-पत्रकार है। शायद यही वजह भी हैं की उन्होंने अपने कार्यकाल में उत्तराखंड के साहित्य का सम्मान करने का निर्णय लिया है। यह निश्चित तौर पर पहाड़ की संस्कृति के लिए भी सम्मान की बात है कि जिन साहित्यकारों-पत्रकारों ने उत्तराखंड की लोक-संस्कृति को विश्व के श्रेष्ठ मंचों पर स्थापित किया है। उसको सम्मानित करने का निर्णय निशंक सरकार ले लिया है। यकीनन इससे उत्तराखंड के लेखक-पत्रकारों को उन्हीं के राज्य में खुद के वजूद का सम्मान भी मिल पायेगा।
वैसे इस दिशा सरकारा काफी पहली ही तेजी के साथ अग्रसर थी। प्रदेश में भाषा संस्थान,हिन्दी अकादमी तथा संस्कृति-कला परिषद का गठन इसी प्रयास का प्रतिफल हैं। प्रदेश के साहित्यकारों,कवियों,कलाकारों को विविध स्तर पर सुविधाओं का प्राविधान किया गया है। उनकी कृतियों का प्रकाशन,दुर्लभ पांडुलिपियों,छाया चित्रों का संरक्षण,लोक-कलाकारों के मानदेय एवं दैनिक भत्तों की दरों को पहले से दुगना किया गया है। ऋषिकेश में हिमालयन म्यूजियम स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। रेंजर्स कॉलेज परिसर देहरादून में ललित कला अकादमी की स्थापना के लिए किए गए प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
इसी दिशा में डॉ.निशंक ने एक कदम और बढ़ाते हुए उत्तराखंड में साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लेखकों के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा कर करी है। साहित्य सृजन के लिए मिलने वाले इन पुरस्कारों को स्वर्ण,रजत और कांस्य तीन वर्ग में बांटा गया हैं,जिसमें तीन,दो और एक लाख का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

डॉ.निशंक द्वारा की गयी इस घोषाण के बाद उत्तराखंड के साहित्याकारों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं। क्योंकि इससे पहले उन्हीं अपनी रचानाओं के प्रकाशन और उसकी गुणवाता को दिखाने के लिए दूसरे राज्यों की राह पकड़नी पड़ती है। निशंक के इस भागीरथी प्रयास के बाद अब प्रदेश के साहित्यिकारों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। इसके लिए उत्तराखंड के सभी वरिष्ठ-एवं युवा साहित्यिकारों ने डॉ.निशंक की सराहना की ।
जगमोहन 'आज़ाद'

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