संगठन चुनावों की सोनिया और राहुल की धारणा को पलीता लगा रही हैं जिला इंका और हरवंश सिंह
जिला कांग्रेस के चुनाव अधिकारी डॉ. अविनाश जावड़ेकर सिवनी आये और चले भी गये। अब चुनाव तक आयेंगें या नहीं या सीधे अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जायेगीर्षोर्षो इस पर कुछ भी कहना सम्भव नहीं है। जावड़ेकर के आने की ना तो विज्ञप्ति प्रकाशित की गई और ना ही सार्वजनिक सूचना दी गई। और तो और जिले के कम से कम दो हजार से अधिक उन सुपात्रों को भी इसकी खबर नहीं दी गई जो कि चुनाव लड़ने के लिये पात्र सदस्य हैं। जिले के कांग्रेस के पट्ठेदार हरवंश सिंह अपनों से रायशुमारी करने में लगे हैं। वर्तमान में जिन नामों पर रायशुमारी वे कर रहें हैं उनमें जिला इंका के महामन्त्री द्वय हीरा आसवानी और असलम भाई शामिल है।यदि 20 जुलाई को हरवंश सिंह और उनके पुत्र सेवादल के अध्यक्ष रजनीश सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला कोर्ट में खत्म हो जाता हैं तो रजनीश की ताजपोशी इस पद पर हो जाये तो कोई बड़ी बात नही होगी। जानने वालों का तो यह भी मानना हैं कि यदि सामान्य वर्ग से अन्य कोई वरिष्ठ और जुझारू नेता दावेदारी ठोंकता हैं तो हरवंश सिंह आरक्षण के हथियार का उपयोग कर सकते हें। ऐसे में आदिवासी होने पर पूर्व विधायक बेनी परते और महिला होने पर श्रीमती आशा सनोड़िया को जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं। अन्यथा टेस्टेड ओ.के. महेश मालू तो हैं ही। वैसे तो हर वन मन्त्री पेड़ लगाने की अपील करता हें लेकिन यह सरदार सरताज सिंह की असरदार अपील का ही असर हैं कि पूरी जिला भाजपा तन,मन,धन से पेड़ लगाने में लगी हुयी हैं।
चुपचाप आये और गये कांग्रेस चुनाव अधिकारी-
जिला कांग्रेस के चुनाव अधिकारी डॉ. अविनाश जावड़ेकर सिवनी आये और चले भी गये। अब चुनाव तक आयेंगें या नहीं या सीधे अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जायेगीर्षोर्षो इस पर कुछ भी कहना सम्भव नहीं है। कई दिनों से चुनाव अधिकारी के आगमन का इन्तजार करते कांग्रेसियों को निराश होना क्योंकि जब आम कांग्रेसी को यह पता चला कि चुनाव अधिकारी ने बैठक ली तब तक वे सिवनी से जा चुके थे। जावड़ेकर के आने की ना तो विज्ञप्ति प्रकाशित की गई और ना ही सार्वजनिक सूचना दी गई। और तो और जिले के कम से कम दो हजार से अधिक उन सुपात्रों को भी इसकी खबर नहीं दी गई जो कि चुनाव लड़ने के लिये पात्र सदस्य हैं। कांग्रेस के इस चुनाव को लेकर आमतौर पर काफी आशायें बंधीं हुयी थी क्योंकि कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी बार बार यह दावा कर रहें थे कि चुनाव और निष्पक्ष होगें। कहीं कहीं तो चुनाव अधिकारियों ने ऐसे भाषण भी दे डाले थे कि अब पदाधिकारी नेताओं के जेब से नहीं वरन कार्यकत्ताZओं के बीच से आयेगेंं। लेकिन सिवनी के हाल देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि यह सब कुछ होगा। वैसे तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी कांग्रेस के चेहरे और चाल को बदलने की पूरी कोशिश कर रहें हैं लेकिन कांग्रेस के खोड़ ऐसा होने नहीं देना चाहते क्योंकि इससे उनकी बादशाहत पर उल्टा असर पड़ सकता हैं। आलाकमान के निर्देशों के बाद भी जाहं जिसकी चल रही हैं वह सुधरना ही नहीं चाहता हैं। जिले के एकमात्र इंका विधायक,प्रदेश कांग्रेस और विधानसभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह पूरे समय मीटिंग में उपस्थित रहें। फिर निष्पक्षता दिखाने के लिये चुनाव अधिकारी को एक अलग कमरे में बैठा दिया गया। फिर ब्लाक वार अपने ही लोगों को उनसे अलग अलग बुलाकर चर्चा करायी गई। इस चर्चा के दौरान भी जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू पूरे समय मौजूद रहे। उनकी मौजूदगी से ही इस बात का अन्दाज लगाया जा सकता हैं कि कितनी निष्पक्षता बरती गई हैं। कांग्रेसियों के बीच जारी चर्चा को यदि सही माना जाये तो चुनाव अधिकारी से मिलने वाले सभी हरवंश समर्थकों ने यह कह दिया हैं कि जिसे हरवंश सिंह चाहेंगें उसे हम अध्यक्ष स्वीकार करेंगें। समान्य तौर पर कांग्रेस में अभी तक ऐसे प्रस्ताव संसदीय दल या विधायक दल की बैठक में पास होते थे कि नेता के चयन का अधिकार सोनिया गांधी या राहुल गांधी को सौंपते हैं। लेकिन संगठन के चुनावों में ऐसे प्रयास की पहल ना केवल ऐतिहासिक हैं वरन अपने आप उन्हीं के समतुल्य मान लेने के मुगालते पाल लेने के समान हैं।इंका में कौन बनेगा सरताज हीरा,असलम,बेनी,आशा या फिर से महेश- जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिये कुछ नाम अब हवा में तैरने लगे हैं। जिले के कांग्रेस के पट्ठेदार हरवंश सिंह अपनों से रायशुमारी करने में लगे हैं। वर्तमान में जिन नामों पर रायशुमारी वे कर रहें हैं उनमें जिला इंका के महामन्त्री द्वय हीरा आसवानी और असलम भाई शामिल है। इनके बारे में काफी लोगों से पूछताछ की गई हैं जिसकी जानकारी भी इन दोनों तक पहुच चुकी हैं। ये दोनों भी बनने के लिये कितने आश्वस्त होगेंर्षोर्षो यह उनके अलाव कोई दूसरा नहीं जान सकता। वैसे तो पहले भी कई मामलों में इनके बारे में राय शुमारी की जाती रही हैं लेकिन वह वहीं तक सीमित रह गई हैं इन्हें मिला कुछ भी नहीं हैं। ऐसा ही यदि इस बार भी हो जाये तो शायद किसी को भी कोई आश्चर्य नहीं होगा। और ऐसे में यदि 20 जुलाई को हरवंश सिंह और उनके पुत्र सेवादल के अध्यक्ष रजनीश सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला कोर्ट में खत्म हो जाता हैं तो यदि रजनीश की ताजपोशी इस पद पर हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। जानने वालों का तो यह भी मानना हैं कि यदि सामान्य वर्ग से अन्य कोई वरिष्ठ और जुझारू नेता इस पद के लिये आगे आता हैं या दावेदारी ठोंकता हैं तो हरवंश सिंह आरक्षण के अधिकार का उपयोग कर सकते हें। ऐसे में आदिवासी होने पर पूर्व विधायक बेनी परते और महिला होने पर श्रीमती आशा सनोड़िया को जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं। दोनों ही हरवंश सिंह के हलये सुविधाजनक रहेंगें। यदि मामला बहुत उलझ गया और कोई रिस्क लेना सम्भव नहीं रहा तो टेस्टेड ओ.के. महेश मालू के सिर पर एक बार फिर ताज पहनाया जा सकता है। हरवंश सिंह की भरसक कोशिश यही रहेगी कि जिला कांग्रेस उनके बाहर ना जाये क्योंकि उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों पर पर्दा डालने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। वर्तमान हालात में सब कुछ इस बात पर निर्भर करीेगा कि 20 जुलाई को कोर्ट में क्या फैसला होता हैंर्षोर्षो और उसके पूर्व 19 तारीख से प्रारंभ होने वाले विधानसभा सत्र में हरवंश सिंह के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने पर भाजपा क्या रुख अिख्तयार करती हैं?
तन,मन,धन से झाड़ गड़ाने जुटी भाजपा -
वैसे तो बरसात में वन विभाग वन महोत्सव मनाकर वृक्षारोपण करता हैं। वन मन्त्री हर आदमी से एक झाड़ लगाने की अपील करते है। ऐसा लगता हैं कि वन मन्त्री सरताज सिंह की अपील का सबसे अधिक असर जिला भाजपा पर ही हुआ हैं। तभी तो कार्यक्रम चाहे स्कूल चलें हम का हो या स्कूल के उदघाटन का या कार्यशाला हो कोई ना कोई भाजपा नेता की झाड़ जरूर गाड़ देता हैं जिसकी फोटो अखबारों में छपी दिखती हैं। वैसे जन जागृति के लिये ऐसे आयोजन राजनैतिक दलासें द्वारा किया जाना प्रशंसनीय होता हैं लेकिन अखबारों में प्रकाशित फोटो में तो सिर्फ नेता जी झाड़ गाड़ते दिखते हें कार्यक्रम में उपस्थित जन तो दिखायी ही नहीं देते जिन्हें जागृत करने का प्रयास किया जाता है। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन अपने हर कार्यक्रम में पेड़ लगाने का कार्यक्रम रख लेते हैं। कार्यक्रम चाहे स्कूल चलें हम का हों या किसी स्कूल के उदघाटन का या किसी कार्यशाला का भाजपा ने झाड़ जरूर गाड़े हैं। मन्त्री गौरी शंकर बिसेन, विधायक नीता पटेरिया, पूर्व मन्त्री डॉ. बिसेन, पूर्व विधायक नरेश दिवाकर एवं जिला अध्यक्ष सुजीत जैन के झाड़ गाड़ते फोटो अखबारों में प्रकाशित हुये हैे। ऐसा ही एक बडा़ समारोह केवलारी विधानसभा क्षेत्र में भी हुआ जिसमें जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के अलावा केवलारी से विधानसभा का चुनाव लड़कर हारने वाले डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी झाड़ गाड़ने गये थे। वहां काफी भाजपा कार्यकत्ताZ भी उपस्थित थे। अब यह तो डॉ. बिसेन ही जानते होगें कि उन चेहरों में कितने चेहरे ऐसे थे जिन्होंने चुनाव में भाजपा के झाड़ में खाद पानी देने का काम किया था और कितने चेहरे ऐसे हैं जिन्होंने भाजपा के झाड़ का जड़ों में मट्ठा डालने का काम किया था। इस झाड़ लगाने वाले चुनाव में मट्ठा ना डालने का संकल्प ही ले लें तो बहुत होगा। वैसे तो हर वन मन्त्री पेड़ लगाने की अपील करता हें लेकिन यह सरदार सरताज सिंह की असरदार अपील का ही असर हैं कि पूरी जिला भाजपा तन,मन,धन से पेड़ लगाने में लगी हुयी हैं।
जिला कांग्रेस के चुनाव अधिकारी डॉ. अविनाश जावड़ेकर सिवनी आये और चले भी गये। अब चुनाव तक आयेंगें या नहीं या सीधे अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जायेगीर्षोर्षो इस पर कुछ भी कहना सम्भव नहीं है। जावड़ेकर के आने की ना तो विज्ञप्ति प्रकाशित की गई और ना ही सार्वजनिक सूचना दी गई। और तो और जिले के कम से कम दो हजार से अधिक उन सुपात्रों को भी इसकी खबर नहीं दी गई जो कि चुनाव लड़ने के लिये पात्र सदस्य हैं। जिले के कांग्रेस के पट्ठेदार हरवंश सिंह अपनों से रायशुमारी करने में लगे हैं। वर्तमान में जिन नामों पर रायशुमारी वे कर रहें हैं उनमें जिला इंका के महामन्त्री द्वय हीरा आसवानी और असलम भाई शामिल है।यदि 20 जुलाई को हरवंश सिंह और उनके पुत्र सेवादल के अध्यक्ष रजनीश सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला कोर्ट में खत्म हो जाता हैं तो रजनीश की ताजपोशी इस पद पर हो जाये तो कोई बड़ी बात नही होगी। जानने वालों का तो यह भी मानना हैं कि यदि सामान्य वर्ग से अन्य कोई वरिष्ठ और जुझारू नेता दावेदारी ठोंकता हैं तो हरवंश सिंह आरक्षण के हथियार का उपयोग कर सकते हें। ऐसे में आदिवासी होने पर पूर्व विधायक बेनी परते और महिला होने पर श्रीमती आशा सनोड़िया को जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं। अन्यथा टेस्टेड ओ.के. महेश मालू तो हैं ही। वैसे तो हर वन मन्त्री पेड़ लगाने की अपील करता हें लेकिन यह सरदार सरताज सिंह की असरदार अपील का ही असर हैं कि पूरी जिला भाजपा तन,मन,धन से पेड़ लगाने में लगी हुयी हैं।
चुपचाप आये और गये कांग्रेस चुनाव अधिकारी-
जिला कांग्रेस के चुनाव अधिकारी डॉ. अविनाश जावड़ेकर सिवनी आये और चले भी गये। अब चुनाव तक आयेंगें या नहीं या सीधे अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जायेगीर्षोर्षो इस पर कुछ भी कहना सम्भव नहीं है। कई दिनों से चुनाव अधिकारी के आगमन का इन्तजार करते कांग्रेसियों को निराश होना क्योंकि जब आम कांग्रेसी को यह पता चला कि चुनाव अधिकारी ने बैठक ली तब तक वे सिवनी से जा चुके थे। जावड़ेकर के आने की ना तो विज्ञप्ति प्रकाशित की गई और ना ही सार्वजनिक सूचना दी गई। और तो और जिले के कम से कम दो हजार से अधिक उन सुपात्रों को भी इसकी खबर नहीं दी गई जो कि चुनाव लड़ने के लिये पात्र सदस्य हैं। कांग्रेस के इस चुनाव को लेकर आमतौर पर काफी आशायें बंधीं हुयी थी क्योंकि कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी बार बार यह दावा कर रहें थे कि चुनाव और निष्पक्ष होगें। कहीं कहीं तो चुनाव अधिकारियों ने ऐसे भाषण भी दे डाले थे कि अब पदाधिकारी नेताओं के जेब से नहीं वरन कार्यकत्ताZओं के बीच से आयेगेंं। लेकिन सिवनी के हाल देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि यह सब कुछ होगा। वैसे तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी कांग्रेस के चेहरे और चाल को बदलने की पूरी कोशिश कर रहें हैं लेकिन कांग्रेस के खोड़ ऐसा होने नहीं देना चाहते क्योंकि इससे उनकी बादशाहत पर उल्टा असर पड़ सकता हैं। आलाकमान के निर्देशों के बाद भी जाहं जिसकी चल रही हैं वह सुधरना ही नहीं चाहता हैं। जिले के एकमात्र इंका विधायक,प्रदेश कांग्रेस और विधानसभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह पूरे समय मीटिंग में उपस्थित रहें। फिर निष्पक्षता दिखाने के लिये चुनाव अधिकारी को एक अलग कमरे में बैठा दिया गया। फिर ब्लाक वार अपने ही लोगों को उनसे अलग अलग बुलाकर चर्चा करायी गई। इस चर्चा के दौरान भी जिला इंकाध्यक्ष महेश मालू पूरे समय मौजूद रहे। उनकी मौजूदगी से ही इस बात का अन्दाज लगाया जा सकता हैं कि कितनी निष्पक्षता बरती गई हैं। कांग्रेसियों के बीच जारी चर्चा को यदि सही माना जाये तो चुनाव अधिकारी से मिलने वाले सभी हरवंश समर्थकों ने यह कह दिया हैं कि जिसे हरवंश सिंह चाहेंगें उसे हम अध्यक्ष स्वीकार करेंगें। समान्य तौर पर कांग्रेस में अभी तक ऐसे प्रस्ताव संसदीय दल या विधायक दल की बैठक में पास होते थे कि नेता के चयन का अधिकार सोनिया गांधी या राहुल गांधी को सौंपते हैं। लेकिन संगठन के चुनावों में ऐसे प्रयास की पहल ना केवल ऐतिहासिक हैं वरन अपने आप उन्हीं के समतुल्य मान लेने के मुगालते पाल लेने के समान हैं।इंका में कौन बनेगा सरताज हीरा,असलम,बेनी,आशा या फिर से महेश- जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिये कुछ नाम अब हवा में तैरने लगे हैं। जिले के कांग्रेस के पट्ठेदार हरवंश सिंह अपनों से रायशुमारी करने में लगे हैं। वर्तमान में जिन नामों पर रायशुमारी वे कर रहें हैं उनमें जिला इंका के महामन्त्री द्वय हीरा आसवानी और असलम भाई शामिल है। इनके बारे में काफी लोगों से पूछताछ की गई हैं जिसकी जानकारी भी इन दोनों तक पहुच चुकी हैं। ये दोनों भी बनने के लिये कितने आश्वस्त होगेंर्षोर्षो यह उनके अलाव कोई दूसरा नहीं जान सकता। वैसे तो पहले भी कई मामलों में इनके बारे में राय शुमारी की जाती रही हैं लेकिन वह वहीं तक सीमित रह गई हैं इन्हें मिला कुछ भी नहीं हैं। ऐसा ही यदि इस बार भी हो जाये तो शायद किसी को भी कोई आश्चर्य नहीं होगा। और ऐसे में यदि 20 जुलाई को हरवंश सिंह और उनके पुत्र सेवादल के अध्यक्ष रजनीश सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला कोर्ट में खत्म हो जाता हैं तो यदि रजनीश की ताजपोशी इस पद पर हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। जानने वालों का तो यह भी मानना हैं कि यदि सामान्य वर्ग से अन्य कोई वरिष्ठ और जुझारू नेता इस पद के लिये आगे आता हैं या दावेदारी ठोंकता हैं तो हरवंश सिंह आरक्षण के अधिकार का उपयोग कर सकते हें। ऐसे में आदिवासी होने पर पूर्व विधायक बेनी परते और महिला होने पर श्रीमती आशा सनोड़िया को जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं। दोनों ही हरवंश सिंह के हलये सुविधाजनक रहेंगें। यदि मामला बहुत उलझ गया और कोई रिस्क लेना सम्भव नहीं रहा तो टेस्टेड ओ.के. महेश मालू के सिर पर एक बार फिर ताज पहनाया जा सकता है। हरवंश सिंह की भरसक कोशिश यही रहेगी कि जिला कांग्रेस उनके बाहर ना जाये क्योंकि उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों पर पर्दा डालने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। वर्तमान हालात में सब कुछ इस बात पर निर्भर करीेगा कि 20 जुलाई को कोर्ट में क्या फैसला होता हैंर्षोर्षो और उसके पूर्व 19 तारीख से प्रारंभ होने वाले विधानसभा सत्र में हरवंश सिंह के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने पर भाजपा क्या रुख अिख्तयार करती हैं?
तन,मन,धन से झाड़ गड़ाने जुटी भाजपा -
वैसे तो बरसात में वन विभाग वन महोत्सव मनाकर वृक्षारोपण करता हैं। वन मन्त्री हर आदमी से एक झाड़ लगाने की अपील करते है। ऐसा लगता हैं कि वन मन्त्री सरताज सिंह की अपील का सबसे अधिक असर जिला भाजपा पर ही हुआ हैं। तभी तो कार्यक्रम चाहे स्कूल चलें हम का हो या स्कूल के उदघाटन का या कार्यशाला हो कोई ना कोई भाजपा नेता की झाड़ जरूर गाड़ देता हैं जिसकी फोटो अखबारों में छपी दिखती हैं। वैसे जन जागृति के लिये ऐसे आयोजन राजनैतिक दलासें द्वारा किया जाना प्रशंसनीय होता हैं लेकिन अखबारों में प्रकाशित फोटो में तो सिर्फ नेता जी झाड़ गाड़ते दिखते हें कार्यक्रम में उपस्थित जन तो दिखायी ही नहीं देते जिन्हें जागृत करने का प्रयास किया जाता है। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन अपने हर कार्यक्रम में पेड़ लगाने का कार्यक्रम रख लेते हैं। कार्यक्रम चाहे स्कूल चलें हम का हों या किसी स्कूल के उदघाटन का या किसी कार्यशाला का भाजपा ने झाड़ जरूर गाड़े हैं। मन्त्री गौरी शंकर बिसेन, विधायक नीता पटेरिया, पूर्व मन्त्री डॉ. बिसेन, पूर्व विधायक नरेश दिवाकर एवं जिला अध्यक्ष सुजीत जैन के झाड़ गाड़ते फोटो अखबारों में प्रकाशित हुये हैे। ऐसा ही एक बडा़ समारोह केवलारी विधानसभा क्षेत्र में भी हुआ जिसमें जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के अलावा केवलारी से विधानसभा का चुनाव लड़कर हारने वाले डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी झाड़ गाड़ने गये थे। वहां काफी भाजपा कार्यकत्ताZ भी उपस्थित थे। अब यह तो डॉ. बिसेन ही जानते होगें कि उन चेहरों में कितने चेहरे ऐसे थे जिन्होंने चुनाव में भाजपा के झाड़ में खाद पानी देने का काम किया था और कितने चेहरे ऐसे हैं जिन्होंने भाजपा के झाड़ का जड़ों में मट्ठा डालने का काम किया था। इस झाड़ लगाने वाले चुनाव में मट्ठा ना डालने का संकल्प ही ले लें तो बहुत होगा। वैसे तो हर वन मन्त्री पेड़ लगाने की अपील करता हें लेकिन यह सरदार सरताज सिंह की असरदार अपील का ही असर हैं कि पूरी जिला भाजपा तन,मन,धन से पेड़ लगाने में लगी हुयी हैं।
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