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26.7.10

अनुशासित जनरल का डगमगाया अनुशासन।




राजेन्द्र जोशी
देहरादून। सैन्य पृष्ठ भूमि से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूडी भले ही अनुशासन प्रिय होने का स्वांग रचते हो लेकिन हालिया स्थिति इसके विपरीत नजर आती है। पार्टी का एक धड़ा उन्हें अनुशासनहीन कहने से भी परहेज नहीं कर रहा है। मामला ताजे-ताजे प्रदेश प्रभारियों के पदों पर हुई नियुक्ति को लेकर है। चर्चाओं पर यदि विश्वास किया जाय तो पूर्व मुख्यमंत्री खंडूडी तमिलनाडू के प्रभारी का पद लेने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि वे बीते दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाल कर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी सहित भाजपा के आला नेता आडवाणी सहित अरूण जेटली व कई अन्यों से अपनी ताजपोशी को लेकर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जनरल खंडूडी के इस आचरण पर गंभीर रूख अपनाते हुए उन्हें पार्टी के नीति-रीति और अनुशासन कायम रखने की नसीहत दी है।
उल्लेखनीय है कि निशंक सरकार के बनने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री खंडूडी एक माह चुप रहने के बाद सरकार के खिलाफ गाहे-बगाहे बयान ही नहीं देते रहे बल्कि उन्होंने प्रदेश संगठन और सरकार के मुखिया के दौरों के समानान्तर दौरे कर सरकार और संगठन को कई बार परेशानी में डाला। सच्चाई तो ये भी थी कि जनरल खंडूडी मुख्यमंत्री पद से पद्योच्चित होने के बाद भी पद का लोभसंवरण नहीं कर पाये और आये दिन सरकार और संगठन को उनके द्वारा दिये गये बयानों व प्रदेश भर में किये गये तूफानी दौरों से नई मुसीबत का सामना करना पड़ा। जनरल खंडूडी के सत्ता के समानान्तर अपने को खड़ा करने के कारण सरकार और संगठन स्वयं को असहज महसूस कर रहे थे। सूबे के मुखिया डा. रमेश पोखरियाल निशंक हर मौके पर खंडूडी का मान-मनोब्बल करते रहे केवल इसलिए कि सरकार और संगठन की छवि धूमिल न हो पाये। अब जबकि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जनरल खंडूडी की इन गतिविधियों का संज्ञान लिया तो उन्हें तमिलनाडू का प्रदेश प्रभारी बनाया गया। लेकिन बावजूद इसके जनरल खंडूडी प्रदेश की राजनीति का मोह नहीं त्याग पा रहे हैं। जनरल खंडूडी ने मीडिया में सरकार के विरूद्ध दुष्प्रचार करने का बीड़ा उठा रखा है। अपनी नाराजगी संगठन और सरकार के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष रखने के बजाय मीडिया में रखते रहे हैं। जिससे भाजपा जैसी अनुशासित कहे जाने वाली पार्टी की छिछालेदारी हो रही है।
चर्चा तो यहां तक है कि जनरल खंडूडी को अपने इस अनुशासनहीन आचरण के लिए केंद्रीय नेतृत्व के सामने मुहं की खानी पड़ी है। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उन्हें पार्टी अनुशासन का पाठ पढाते हुए सौंपे गये दायित्व का निर्वहन करने के कड़े निर्देश दिये हैं, साथ ही चेतावनी भी दी है कि भारतीय जनता पार्टी की आचार सहिंता को दृष्टिगत रखते हुए संगठन की मजबूती के लिए वे काम करें। विगत एक वर्ष से निशंक सरकार के समक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जनरल खंडूडी ने कई बार ऐसी स्थितियां पैदा कर दी कि शीर्ष नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा। माना ये भी जा रहा है कि खंडूडी की इन्हीं हरकतों के कारण उन्हें उत्तराखंड से दूर सुदूर दक्षिण भारतीय राज्य में भेजा गया है। जहां पर कि भाजपा का अभी कोई खासा जनाधार तक नहीं है। अब यहां ये देखना है उत्तराखंड में कुर्सी के लिए हायतौबा मचाने वाले खंडूडी तमिलनाडू में भाजपा को किस ऊंचाई तक पहुंचाने में सफल हो पाते हैं साथ ही वहां की राजनीतिक परिस्थितियां उनकी राजनीतिक कद काठी भी तय करेगी।

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