कैसे मिलेगा हिन्दी भाषा को उसका खोया हुआ गौरव और विश्व स्तर पर सम्मान ?
इसे सब जानते है क़ि हिन्दी , हिंदुस्तान की भाषा है , मगर सिर्फ नेट या फेस बुक पर लिखने से इसे दुनियां की भाषा नहीं बनाया जा सकता , इस के लए ज़रूरत है. , एक समन्वित प्रयास करने की . क्या आप सब को मालूम है क़ि आज दुनिया के सब से ताकतवर देश अमरीका में वंहा की सरकार संचालित ब्राडकास्टिंग संस्था वी ओ ए ( वोइस आफ अमेरिका ) ने हिंदी भाषा का अपना रेड़ियो. टी वी प्रसारण ये कह कर बंद कर दिया , क़ि इस की कोई ज़रूरत नहीं है .जब क़ि पाकिस्तान , अफगानिस्तान के लिए प्रसारण का समय २ घंटे से बढा कर १२ घंटे कर दिया है .
सोचने की बात है क़ि छोटे देशों क़ि भाषा में तो अमेरिका अपने प्रसारण करता है मगर एक अरब से ज्यादा आबादी वाले देश भारत की हिंदी भाषा क प्रसारण को ये कह कर बंद कर देता है क़ि इस की कोई ज़रूरत नहीं है .
मगर इस के विरोध में न तो भारत क़ि सरकार और न ही तथाकथित और हिंदी भक्तों क़ि तेरफ से कोई आवाज़ उठी , आखिर क्यूँ ? भारत में हिंदी क नाम पर एक भारी भरकम बजट खर्च किया जाता है पर सिर्फ खानापूरी करने के लिए .अब ऐसे में कैसे हिन्दी भाषा को विश्वस्तरीय भाषा बनाने की बात की जा सकती है .
फिर भी प्रयास तो किया ही जाना चाहिए , इस लिए हम सब को इस के लिए अपनी भागीदारी निभाने के लिए भरसक कोशिश करनी होगी .
सिर्फ कागजी घोडे दौड़ाने या मीटिंग / सेमिनार करने या फिर [ओस्तेर्बजी / पर्चे बाजी करने से ही हिन्दी भाषा को न तो उस का सम्मान दिलाया जा सकता है और न ही उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर स्थापित किया जा सकता है , इस के लिए सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर गंभीर प्रयासों के करने क़ि जरुरत है .
21.7.10
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3 comments:
jnaab iskaa bs aek hi triqaa he hindi kaa upyog qaanuni anivary bnaayaa jaaye or neshnl onr aek men ise bhi shaamil kiyaa jaaye taaki apmaan krne vaale ko szaa mil ske . akhtar khan akela kota rajsthan
जब हमार देश ही हिन्दी को लेकर एक जुट नही कभी केरल मे तो कभी महाराष्ट मे हीन्दी को लेकर बबाल होता रहता है । यहा तक की वकीलो को प्रेक्टिस के लिये इग्लिश चाहीए तो हम कैसे उम्मीद कर सकते है कि हिन्दी विशिवस्तिरीय भाषा बन जाये ।
Hindi ko Rashtriya aur antarashtriya str par syhapit karne k liey aise logon ko aagey aa kar ek abhiyan chalana hoga jinke swarth na judey ho .Aisa na ho ki Hindi ke jo mathadiish hai wo hi fir se aagey aa kar apna swarth sidhh karne me fir se malayi kha kar maza mare aur HINDI janha ki tanha padi rahey ,
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