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30.7.10

कुंभकर्णी नींद से जागा एमडीडीए




देहरादून। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण अचानक कुंभकर्णी नींद से जाग उठा है। इस नींद की खुमारी का खामियाजा राजधानी में अवैध तौर पर चल रहे शापिंग काम्लेक्सों को भुगतना पढ़ रहा है। पिछले तीन दिनों में एमडीडीए ने छोटे बड़े दर्जन भर प्रतिष्ठानों पर हल्ला बोल कर सील कर दिये। मानो रातों रात इन भवनों का जन्म हुआ हो। पिछले एक दशक से मौजूद इन काम्पलेक्सों पर एमडीडीए उदासीन बना रहा। अब जब इन काम्पलेक्सों के व्यापारी अपना व्यापार स्थापित कर चुके है तो एमडीडीए अचानक हरकत में आ गया है।
शुक्रवार को एमडीडीए के अधिकारियों को अचानक याद आया कि राजपुर रोड स्थित विशाल मेगा मार्ट अवैध रूप से चल रहा है। पिछले पांच-छः वर्षो से चल रहा विशाल मेगा मार्ट काम्पलेक्स एमडीडीए की ही अनुमति के बाद बना है। एमडीडीए जिस हिस्से को व्यवसायिक तौर पर अवैध बता रहा है। उस हिस्से में भी पिछले कई वर्षों से व्यवसाय चल रहा है। एमडीडीए सब कुछ जानते हुए चुप्पी साधे बैठा रहा। अब सवाल यह उठ रहा है कि कई वर्षों की कुंभकर्णी नींद के बाद एमडीडीए अचानक क्यों जाग गया। शहर के विभिन्न हिस्सों में चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अचानक एक साथ हमला बोल देनेे से एमडीडीए की नीयत पर सवाल उठाये जाने लगे है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कहीं इन ताबड़तोड़ हमलों के पीछे पैसे का लेनदेन तो नहीं है। एमडीडीए की कार्यवाही से नाराज व्यापारियों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से इनके प्रतिष्ठान चल रहे है। लेकिन एमडीडीए को अब जाकर सुध आ रही है। विशाल मेगा मार्ट में काम करने वाले एक कर्मचारी का कहना है कि एमडीडीए की इस कार्यवाही के कारण राजधानी में सैकड़ों युवाओं व युवतियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। इन संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों का मानना है कि अगर इनके प्रतिष्ठान गैर कानूनी तौर पर चल रहे थे तो मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण को शुरूआती दौर में ही इनके खिलाफ कार्यवाही कर देनी चाहिये थी। अब आठ-दस वर्षों बाद एमडीडीए हरकत में आ रहा है। जिसके कारण व्यापारियों के साथ ही कर्मचारियों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
एमडीडीए का अचानक हरकत में आना आम लोगों के भी गले नहीं उतर रहा है। लोगों का मानना है कि बगैर शासन के किसी आदेश के बावजूद शापिंग काम्पलेक्सों तथा दुकानों के खिलाफ एमडीडीए अधिकारियों की यह कार्यवाही संदेह पैदा कर रही है। लोग इसके पीछे पैसे के लेन-देन से भी इंकार नहीं कर रहे है।

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