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23.7.10

डेढ़ दशक में आधा सैकड़ा लोग केवल केंसर के कारण अकाल मारे गए.

देश की आबादी के सत्तर प्रतिशत लोग अभी भी गांवो में बसते है और गाँव में बसने वालों को आज भी मूलभूत सुविधाओ के लिए दर-दर के लिए भटकना पड़ता है. तभी तो अमरगढ़ में पिछले डेढ़ दशक में आधा सैकड़ा लोग केवल केंसर के कारण अकाल मारे गए.
मध्य प्रदेश में विकास का दावा करने वाली भाजपा सरकार के अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार से अपना विकास करने में लगे है. आज तक यहाँ यदि कोई भी व्यक्ति बीमार पड़ा है तो मुश्किल से चौबीस महीने ही जी सका है और मौत का कारण बनता है गले या पेट का केंसर.

कटनी जिले की बहोरीबंद जनपद का एक गाँव अमरगढ़ जो पंचायत मुख्यालय भी है. महज १८६३ की आबादी वाला यह गाँव आज भय के साए में जी रहा है, केंसर में मरने वालो की लम्बी फहरिस्त है, कुछ ही दिनों पहले शिव प्रसाद बर्मन की गले के केंसर के कारण मौत हो गई. उसकी अभी तेरहवी भी नहीं हुई है,

महा सिंह उर्फ़ बिहारी लोधी की मौत ०२-०५-२००८ को गले के केंसर के कारण मौत हुई. परिवार वालो ने पैसा पानी की तरह बहाया. शुरुआत में चिकित्सको की जाँच में जो लक्षण पाए जाते है उनमे मुख्य रूप से आवाज में बदलाव, थूक गुककने में तकलीफ होता है.

महासिंह की वेवा   भगवती को भी पिछले दो सालो से पेट में दर्द की शिकायत है, पंचायत के सचिव ओंकार प्रसाद गर्ग की पत्नी संध्या को भी बच्चेदानी में शिकायत पाई गई, जिसका जबलपुर में इलाज चल रहा है. यहाँ की अधिकांस महिलाओ को बच्चेदानी का केंसर ही आखिर क्यों होता है ?.



पिछले कई वर्सो से इन्द्र कुमार नामदेओ के माथे में फोड़े की शक्ल का उभार  है. उसे भी भय है की कही यह उभार केंसर का रूप न ले ले.

छोटे-छोटे गांवो इम्लिगढ़, गडा, पिपरिया, अमरगढ़ को मिलाकर ग्राम पंचायत अमरगढ़ बना है. अमरगढ़ ही नहीं बल्कि इससे सटे इम्लीगढ़ की संजोबाई को भी तीन महीने से गले में शिकायत है
sabhobai imligarh

हथिया गढ़ के रामनाथ पटेल को एक बार पेट का आपरेशन हो चूका है. जाँच के बाद केंसर पाया गया . इलाज के बाद तब तो रामनाथ ठीक हो गया लेकिन पिछले कुछ महीनो से एक बार फिर से हथेली के पिछले भाग पर गाठें उभर आई है.

अमरगढ़ पंचायत के एक गाँव पडरिया के रतिराम सोनी को भी गले का केंसर बताया गया है जो इलाज हेतु जबलपुर गया है, यही के प्रेमा कोरी के भाई को भी यही तकलीफ है.


इसी प्रकार कूड़ा खुर्द के मिडिल स्कूल के हेड मास्टर राजाराम परोह को भी विगत  डेढ़ माह से गले में दर्द था जो अब अपना इलाज करने नागपुर गए है,

इस सम्बन्ध में भूगर्भ शास्त्रियों का मानना है की अमरगढ़ के बेल्ट में क्ले (छुई मिटटी) पाई जाती है, जिसके कारण पानी में सल्फर की मात्रा अधिक हो सकती है. जो केंसर का कारण हो सकता है. भू सर्वेक्षण विभाग के अधिकारिओ ने फ्लोराइड की सम्भावना भी व्यक्त की है.

पूर्व सरपंच रामप्रसाद पटेल ने बताया की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को कई बार लिखित शिकायत भी की और वे नलों  का पानी भी ले गए लेकिन जाँच के बाद की रिपोर्ट का पता ही न चला. इस मौत से अब ग्रामीण भयभीत है. इस सम्बन्ध में अमरगढ़ की सरपंच टीना लोधी ने बताया की इस गाँव में किसी को सामान्य मौत तो होती ही नहीं. अब तो यह हो गया है की अगर किसी को गले या पेट में जरा भी तकलीफ होती है तो वह तुरंत जबलपुर भागता है.

लेकिन राममिलन लोधी को उन गरीबो की चिंता है जिनके पास पैसा नहीं है. वे कहते है की सक्षम लोग तो समय रहते अपना इलाज करा भी लेते है किन्तु गरीब हरिजन आदिवासी को तो तब पता चलता है जब मेडिकल साईंस  भी कुछ कर नहीं पाटा.

कुछ ग्रामीणों का मानना है की गाँव के हैण्ड पम्प केवल साठ फुट ही खोदे गए है जबकि शासन से तीन सौ फीट का प्रावधान है, उन्होंने आशंका जताई की हो सकता है की उथली सतह का पानी पीने से लोगो को केंसर हो रहा है.

स्वास्थ्य विभाग बिलकुल  उदासीन बना है. इस सम्बन्ध में जब ग्रामीणों ने तत्कलीन बी एम् ओ को शिकायत की तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा की हम तो ब्लीचिंग पाउडर का छिडकाव मात्र कर सकते है.

अब केंसर के भय से ग्रामीण युबक पलायन कर रहे है. दर्जनों युवा सपरिवार अपनी पुस्तैनी जमीन जायदाद छोड़कर गली-गली मजदूरी करने विवश है, अधिकांश युवक अब गुजरात में रहने लगे है.

पिछले तीस वर्षो में चालीस पचास लोग मात्र केंसर के कारण मरे. ये आकडे तो उन लोगो के है जिन्होंने इलाज कराया और दर्जनों ऐसे है जो पैसे के आभाव में केंसर का पता चले बगैर चल बसे.

इन वर्षो में आखिर सरकार करती क्या रही ? क्षेत्रीय विधायक एक बार जीतकर जाते है तो लौटकर नहीं देखते. अपनी क्षमता भर तो यहाँ के लोग इलाज कराते है लेकिन आर्थिक रूप से टूटने के बाद शांत होकर बैठ जाते है.

आखिर आम आदमी की बात करने वाली, जमीन से जुड़े लोगो की बात करने वाली सरकार की नीद कब खुलेगी.

क्या अब भी यहाँ के लोग केंसर से इसी तरह अकारण मरते रहेगे ?

1 comment:

Unknown said...

bilkul sahee aur achchhee khabar hai. prashasan me baithe akhikaree karmcharee to sirf aur sirf apna ghar, vibhav aur bank balance banane me lage hai. is par gaon walon ko to manav akhikar aayog ke paas jakar apnee bat uthana chahie.