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5.5.11

ये क्या कर रहा है navbharattimes





भारत में राम और कृष्ण को भगवान माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है , जब क़ि ओबामा को दुनियां के किसी भी हिस्से में भगवान तो क्या , कोई भी धर्मगुरु तक नहीं मानता .ऐसे में राम और कृष्ण से ओबामा की  तुलना करना न सरसार गलत है बल्कि अमर्यादित भी है .
पता नहीं नागपाल जी ने क्या सोच कर ओबामा की राम और कृष्ण से तुलना कर डाली , हो सकता है क़ि उनके विचार में धर्म का कोई महत्व ना हो , किन्तु भारत और अन्य देशों में रहने वाले करोड़ों लोग जो राम और कृष्ण की पूजा करते हैं , जिनमे से मैं भी एक हूँ , को निश्चित रूप इस तुलना ठेस पहुंची है .
विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ये तो नही हैं की , कुछ भी कह या छाप दिया जाये .लेखक ने इस तरह से तुलना कर निश्चित रूप हिन्दू धर्म के देवताओं का अपमान किया है .मैं उम्मीद करता हूँ क़ि, इस तरह की अवांछित बातों वाले आलेखों के प्रकाशन से बचना श्रेयस्कर होगा . क्यूंकि समाचारपत्रों का काम समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सद्भाव पैदा करने की महत्वपूर्ण भूमिका है .

2 comments:

जीवन और जगत said...

किसी भी धर्म का अपमान करना अनुचित है, लेकिन इस मामले को ज्‍यादा तूल नहीं देना चाहिए क्‍योंकि यहां पर नागपाल जी ने घटना या व्‍यक्ति के गुणों की तुलना की है, व्‍यक्तियों के बीच नहीं। इस प्रकार तो हमें बॉलीवुड पर भी धर्महानि का दावा ठोंकना चाहिए क्‍योंकि हर पॉंचवी एक्‍शन फिल्‍म में फिल्‍म का हीरो विलेन की धुलाई करते हुए डायलाग मारता है कि 'जब जब तुम जैसे रावण धरती पर बढ़ते हैं, तब तब किसी राम को अवतार लेना पड़ता है।'

तेजवानी गिरधर said...

आप बिकुल ठीक फरमा रहे हैं