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11.10.08

ग़ज़ल के चंद शेर

कौन पीता है लड़खडाने को,
हम तो पीते है आज़माने को।
कूव्वते-मै को देखने के लिए,
हम चले आते हैं मैखाने को।
बेशऊरों में ज़िक्र होता है,
मै जो पीते हैं ग़म भुलाने को।
मकबूल

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