लोगों को पटाखे फोड़ते देख बिल्कुल नहीं लगा कि अपने देश की आर्थिक मंदी का असर है। खूब मिठाइयां बिकी। खूब पटाखे बिके। अगर मौज मजा में खर्च का एक रुपया भी हर आदमी निकाल ले तो मिला जुला कर समाज. प्रदेश या देश के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। लेकिन इस तरह लोग सोचते क्यों नहीं?
- विनय बिहारी सिंह
29.10.08
आर्थिक मंदी तो कहीं दिखी नहीं
Labels: deepawali par patakhe
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