कल की रात उस परिवार के लिए जरूर सदमे वाली थी। चार माह पहले ही गंगानगर निवासी कालूराम शर्मा जी का सबसे बड़ा बेटा महावीर हार्टअटैक से बली हुआ, तो कल रात 9 बजे उनका पोता प्रदीप भी एक दुर्घटना में घायल होने के कारण काल का ग्रास बन गया। छह महीने पहले ही तो उसकी शादी हुई थी। पूरा परिवार सुखी-सम्पन्न था। अच्छा कारोबार चल रहा था। मुझे याद है, महावीर भाईसाहब की मौत के बाद जब मैं गंगानगर गया था, तो कालूराम ताऊजी, जिनकी इस बुढ़ापे में भी छाती तनी रहती थी। इस बार कुछ बीमार और हताश से दिखाई दिए। मैं पीड़ा समझ सकता था उनकी। मैं जानता हूं कि जो बाप अपने बेटों के कंधों पर जाने की तमन्ना लिए दिन गुजार रहा था, उसे ही अपने बेटे को कंधा देना पड़े, तो उसकी हालत क्या रही होगी। छह महीने पहले ही तो उन्होंने अपने पोते प्रदीप (महावीर जी के बेटे) की शादी की थी। शादी के दो महीने बाद ही एक सुबह अचानक टॉयलेट में महावीर भाईसाहब को दिल का दौरा पड़ा और वहीं उनकी मौत हो गई। अभी तक तो परिवार पूरा संभला भी नहीं था, और यह एक और हादसा हो गया। कल पूरी रात मेरा परिवार भी उन्हीं के घर था। लगभग आधा मौहल्ला भी वहीं था। मैं वहां नहीं था, पर यहां मेरा दिल रो रहा था। मुझे वो बूढ़ा आदमी पूरी तरह टूटता नजर आ रहा था। मुझे प्रदीप से कोई दोस्ती थी, ऐसा नहीं था, पर ताऊजी पर मेरी श्रद्धा है। पूरी रात मेरी आंखों में ताऊजी का चेहरा दिखता रहा और प्रदीप की मां का चीत्कार गूंजता रहा। भगवान उन्हें और उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे, यही दुआ मांग रहा हूं। http://dard-a-dard.blogspot.com/
19.10.08
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