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29.10.08

क्या हमारे भारतीयता त्यागने का समय आ गया ?

राहुल राज को गोली मार दी गई, महारष्ट्र पुलिस और स्थानीय गृह मंत्री की माने तो राहुल आतंकवादी था और आतंकी गतिविधी की बलिवेदी पर चढ़ गया। ये उस प्रान्त के गृहमंत्री का बयान है जहाँ राज ठाकरे नामक नपुंशक मानवता को तार-तार, जार जार कर रहा है, भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विपरीत आतंक का सिलसिला जो महाराष्ट्र की संस्कृति में शिवा जी ने शुरू किया को अभी भी अपने आतंकी गतिविधियों से जारी रखे हुए है , राज ठाकरे की आतंकी गतिविधि आर आर पाटिल के बयान लायक नही मगर राजनीति के खोमचे में सवार राहुल राज को आतंकी बनाने में क्षणिक देरी नही, पूरा का पूरा महाराष्ट्र यानी की क्षद्म चरित्र, अपनी नाकाबिलियत और निकम्मेपन का ठीकडा किसी और के सर पे फोर दो।
देश की राजनीति का काला पन्ना राज ठाकरे ने जो जहर भारतीय राजनीति में बोई उसे कब तक सहें, हम कब तक बर्दाश्त करें, बिहारी के सहिष्णुता का इम्तिहान और वो भी इस स्तर पर की अब और नही, हाँ राज ठाकरे अब और नही। जिस बिहारी को तुमने ललकारा है वो तुम्हारे शिवाजी की तरह काला इतिहास नही रखता है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक मात्र संस्करण बिहार की संस्कृति है.
राहुल ने जो शहादत दी वो भारतीय इतिहास के मंगल पाण्डेय की याद करा गया। कोई ना साथ है ठीक है हम अकेले लड़ लेंगे भले ही जान चली जाए, मगर राहुल की ये शहादत बिहारियों के लिए एक आवाज़ की आगाज़ है। एक गरीब ब्राह्मण सिर्फ़ इसलिए एक राजा के वंश को शर्वनाश करने का शपथ लेता है क्यौंकी उस दम्भी राजा ने सरे आम उसकी बेइज्जती की। "चाणक्य" जो आज सारे दुनिया की राजनीति का एक मात्र नाम है, अपनी शिखा तब तक नही बांधी जब तक नन्द का शर्वनाश नही कर दिया, और एक शूद्र को देश की बागडोर सोंप दी, शान्तिप्रिय अशोक ने जब क्रूडता धारण की तो इतिहास गवाह है भारत की चौहद्दी अशोक से ज्यादा किसी राजा ने नही बढाई, मगर एक छोटे बच्चे के आंसू ने महान सम्राट को जब शान्ति का मसीहा बनाया तो महान अशोक भारत की सीमाओं में बंध कर नही रहा।
आज एक बलिदान ने बिहार के शीर्षस्थ नेताओं को इकठ्ठा कर दिया तो क्या हम इन नेताओं से भी गए गुजरे हैं, अपने पूर्वजों महान सम्राट अशोक, चाणक्य, शेर शाह सूरी, बाबु कुंअर सिंह ने हमें निकम्मा और नाकारा बनना नही सिखाया। स्वाभिमान और सम्मान के लिए मरने वाला बिहारी, देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाला बिहारी आज जिस जिस के लिए त्याग और बलिदान दिया वो हमारे अश्मिता के दुश्मन हैं, उनके लिए हम क्षुद्र हैं। बोद्धिक सम्पदा को लेकर आए तमाम बिहारियों से आवाहन, लाला की चाकरी के अलावे भी अपनी जिम्मेदारी समझें, अपनी पूर्वजों के प्रति, अपनी मातृभूमि के प्रति, सम्मान और निष्ठां के प्रति।
यदि हमें मजबूर किया जा रहा है महान अशोक के रास्ते को चुनने का तो आवाहन करो और इस धरती से महाराष्ट्र और मराठी का नाम मिटा देने का संकल्प करो। नही कर सकते तो अपनी मातृभूमि से माफी मांगो और गुलामी करों उनकी जो तुम्हारी माँ बहन की अश्मिता को अपनी जूती समझते हैं।
चाणक्य के नन्द वंश को समाप्त करने की कसम की तरह मराठियों की समाप्ती का संकल्प करो, तमाम लोगों को आवाहन करो और चलो मिटा देन उनको जिन्हें पता नही की बिहार क्या है, बिहारी क्या है।

5 comments:

सुमीत के झा (Sumit K Jha) said...
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सुमीत के झा (Sumit K Jha) said...

जियो रजनीष भाई………………
दिल खुश कर दिया।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भड़ास निकालने वाले किसी भड़ासी में तो कम से कम इतनी दम है कि सही तरीके से उल्टी कर सके वरना बाकी सारे तो चूं भी नहीं करते भड़ास क्या निकालेंगे?
जय जय भड़ास

Amitraghat said...
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Amitraghat said...

रजनीश भाई बिल्कुल सही लिखा है लेकिन हम को देश हित के बारे में भी सोचना होगा
ऐसा सभी करने लगे तो पूरा देश टूट के कगार पे आ जाएगा अति सर्वत्र वर्जयते राज ठाकरे और उस जैसे सोच रखने वालों का अंत निश्चय ही होगा चाहे वो डेस्क के किसी भी हिस्से में क्यों न रहते हों