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मनोज कुमार राठौर
विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार क्या कोई गलती कर सकता है? नहीं, यही सबका जबाव होगा। दैनिक जागरण के 14 अक्टूबर के अंक में पेज नम्बर 3 (भोपाल जागरण) में परीक्षा परिणाम घोषित हैडिंग से एक सिंगल काॅलम खबर छपी। इसमें लिखा था कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बीएससी अंतिम वर्ष 2007-08 की पूरक परीक्षा के परिणाम सोमवार को घोषित कर दिए गए। परीक्षा परिणाम की जानकारी विवि के नोटिस बोर्ड अथवा वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डाट बीयूभोपाल डाट एनआईसी डाट इन पर देखी जा सकती है। जब बीएससी के पूरक छात्र सोनी ने यह खबर पढ़ी तो वह तुरंत इंटरनेट पर परीक्षा परिणाम खंगालने लगा, पर उसके हाथ निराशा ही लगी क्योकि इंटरनेट पर परीक्षा परिणाम होता तो मिलता। इसके बाद वह सीधे बरकतउल्ला विश्वविद्यालय गया, लेकिन वहां भी कोई लिस्ट नहीं लगी थी। उसने जब पूछताछ काउटंर पर इसकी जानकारी ली तो पता चला कि दैनिक जागरण ने बीसीए के स्थान पर बीएससी छाप दिया। हालांकि छात्रों ने बताया कि यही खबर दैनिक भास्कर में सही छपी।
दैनिक जागरण की इस खबर का पाठक वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ा होगा? यह मान लिया जाए कि उनसे इस खबर में छोटी सी त्रुटि हुई है, लेकिन दैनिक जागरण का इस पर ध्यान केन्द्रित नहीं हुआ और उन्होंने अपने अगले अंक 15 अक्टूबर में इस संदर्भ में कुछ भी नहीं छापा। दैनिक जागरण शायद यह भूल गया है कि यदि किसी अखबार से खबर में कोई गलती होती है तो वह अपने दूसरे अंक में प्रतिक्रिया जरूर देता है, लेकिन दैनिक जागरण ने इस आवष्यक नहीं समझा। माना यह दैनिक जागरण के पेज इंचार्ज की गलती है पर अखबार के सम्पूर्ण पेज की जिम्मेदारी तो संपादक महोदय जी की होती है। उन्होंने भी इस खबर को छोटी समझ कर हल्के में जाने दिया। मुझे लगता है कि दैनिक जागरण के किसी भी कर्मचारी ने इस छोटी सी संदेषात्मक खबर पर ध्यान नहीं दिया। दैनिक जागरण चाहता तो अपने अगले अंक 15 अक्टूबर को इस गलत खबर पर भूल-चुक या फिर इसकी त्रुटि को सही करके दोबारा खबर छापता। जागरण की नीति क्या है? यह तो इस खबर से पता चलता है। गलती छोटी हो या फिर बड़ी, गलती तो गलती होती है।
अखबारों की दुनिया में दैनिक जागरण का अपनी अलग पहचान है लेकिन यह लापरवाही तो उसकी आंतरिक संरचना की पोल खोलती है।
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17.10.08
दैनिक जागरण की लापरवाही
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