अमिताभ फरोग
रियलिटी शो की टीआरपी विवादों पर निर्भर करती है। यह पहला मौका नहीं है, जब कलर्स चैनल के चर्चित शो बिग बॉस को लेकर देशभर से प्रतिक्रियाएं आई हैं। इससे पहले भी बिग बॉस राखी सावंत की उलूल-जुलूल हरकतों के कारण आलोचना का शिकार बना था। आलोचनाएं और विवाद कार्यक्रम निर्माताओं के लिए मुनाफे का सौदा होते हैं। येन-केन प्रकारेण रियलिटी शो को विवादों में बनाए रखने स्क्रिप्ट तक लिखी जाती हैं। यह निश्चय ही आश्चर्य की बात है कि दो-तीन महीने में ही कलर्स चैनल की टीआरपी जबर्दस्त हो गई है। प्राइम टाइम के दौरान तो जैसे दूसरे चैनल गौण-से साबित हुए हैं।
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2 comments:
भाई अमिताभ,
धंधी का ये ही तो चक्कर है, आज आपको बिग बॉस का टी आर पी दिख रहा है, मगर इससे भी बुरे हाल तो खबरिया चैनल वालों के हैं. टी आर पी का चक्कर हो या वितरण का व्यापार. अखबार हो या समाचार, सब धंधे की बलि वेदी पर चढ़ चुका है. अपने आप को बुधजिवी और समाज के पैरोकार कहलाने वाले पत्रकारों की अग्र श्रेणी के पत्रकारों की अप्रितम भूमिका रही है, आख़िर लाला के सबसे नजदीक रहने वाले ही तो लाला को तेल लगा सकते हैं.
sayd kuchha kuchha ho raha hai.
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