पूर्वांचल की ह्र्दयनगरी एवं महायोगी गोरक्षनाथ जी की तपोभूमि गोरखपुर में २४ एवं २५ अक्टूबर,२००८ को डा० नरेन्द्र कोहली, डा० प्रमोद कुमार सिंह एवं डा० के०एन०तिवारी जैसे महान साहित्यकारों एवं विद्वानों का प्रवास रहा। प्रवास का कारण दिग्विजयनाथ डिग्री कालेज, गोरखपुर में "रामचरितमानस
में आदर्श परिवार की परिकल्पना: आज के संदर्भों में" तथा पूर्वोत्तर रेलवे में "आतंकवाद से संघर्ष: भारतीय महाग्रंथों के संदर्भ में" विषयों पर आयोजित संगोष्ठियों में उन्हें आमंत्रित किया गया था। डा० कोहली और डा० सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। डा० सिंह मगध विश्वविद्यालय के पूर्व
प्राचार्य रह चुके हैं उनकी विद्वता का लोहा सारा साहित्य-समाज मानता है। डा० कोहली उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, व्यंग्यकार तथा निबंधकार हैं। अपने समकालीन साहित्यकारों से पर्याप्त भिन्न हैं। साहित्य की समृद्धि तथा समाज की प्रगति में उनका योगदान प्रत्यक्ष है।
ऎसे महान साहित्यकारों से पहली बार मुझे साक्षात्कार करने एवं सानिध्य का अवसर मिला। इसके लिए मैं डा० रण विजय सिंह जी का ह्र्दय से आभारी हूं जिन्होंने मुझे इन महान विभूतियों की सेवा-सत्कार का दायित्व सौंपा। मन में काफ़ी प्रश्न उमड़ रहे थे, परन्तु उनसे क्रास क्वेश्चन करने की अपेक्षा
सिर्फ़ उनकी ही बातें सुनने से मन नहीं भर रहा था। २५-१०-०८ को उनको वैशाली एक्सप्रेस से प्रस्थान करना था। गाड़ी अपने निर्धारित समय से करीब तीन से भी अधिक घन्टे विलम्ब से सवा आठ बजे गोरखपुर आई। डा० कोहली और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य डा० के०एन०तिवारी को इसी गाड़ी से
दिल्ली जाना था। मेरा सारा समय इन्हीं महान साहित्यकारों के साथ बीता। यह मेरे जीवन का अविस्मरणीय समय रहा।
27.10.08
डा० नरेन्द्र कोहली से पहली मुलाकात
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