अभी एक घंटा पहले एक बिहारी युवक का एनकाउंटर कर दिया गया है उस युवक की हत्या की गई जो मराठी बनाम गैर मराठी बवाल में उलझ कर भावनाओं मैं बह गया लगता है उस का मकसद निश्चय ही किसी की हत्या का नहीं था अन्यथा वो बस मैं बंधक बनाय गए अधिकतर लोगों की हत्या कर सकता था मगर उसने ऐसा नहीं किया
उस का मकसद साफ़ था वो राज ठाकरे और उन जैसे नेताओं को सबक सिखाना चाहता था जो आम जनता में वैमनस्य का वातावरण फैला कर अपने वोट बैंक को बढाना चाहते हैं हालाकि उसने ये जिस तरह करना चाहा वो ग़लत था मगर किसी न किसी को ये कदम उठाना ही था चाहे वो ग़लत ही क्यों न हो हालत ही ऐसे हो चले थे ,
वो भगत सिंह की मौत चाहता था मगर मुंबई पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर उसे एक आतंकवादी की मौत दी
27.10.08
एक और भगत सिंह
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3 comments:
crime to crime hi hota hai woh chahe raj thakre ho ya koi or. kanoon sab ke liye barabar hota hai. koi karan dekar hum crime ko sahi nahi thahra sakta. or agar rahul aap ke liye bhagat singh hai ho raj thakre bhi kisi ke liye bhagat singh hoga. is tarah to crime or bhdhta hi jayega. jat dharm or chetra ke adhar per crime ka support sahi nahi hai.
मैंने टी.वी. पर इस एन्काउंटर के बारे में देखा. मैं इससे काफी व्यथित हूं. यह मुंबई पुलिस की एक कायरतापूर्ण कार्रवाई है. राहुल राज आतंकवादी नहीं था. उसे गिरफ्तार किया जा सकता था. उसे आत्मसमर्पण करने को कहा जा सकता था. आज मैं थोड़ा कम भारतीय और थोड़ा ज्यादा बिहारी बन गया हूं.
shrimaan anonymous
aapne shayad mera comment theek se nahin pada main harek prakaar ki hinsa ka dhur virodhi hun lekin rahul ki hatya jis andaaj me hue
vo nischit bhartsna ke kabil hai
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