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26.10.08

चलो, उत्सव मनाएं !

चलो, उत्सव मनाएं !

इस बार भी,
दीपावली पर
कई वजह हैं
दीप जलाने की
उत्सव मनाने की।
चलो, दीप जलाएं,
उत्सव मनाएं।
भूल जाओ कि
तोड़ दिया दम
भूख से
कुछ लोगों ने,
बुझा दिए चिराग
घरों के
बेलगाम बसों ने,
झूल गए बेबस
अन्नदाता
कर्ज के फंदों पर,
खुले आसमान के नीचे
इंसानियत
मर गई ठिठुरकर
हो गई खामोश
ढेरों आवाजें
बमों के धमाकों से,
मरवा दिया ख़ुद ही
बेटों को
कुछ माताओं ने,
अनगिनत सुहागिनें
चढ़ गई
दहेज़ कि बलिवेदी पर।
ये रोज के किस्से
क्यूँ उठाये,
चलो उत्सव मनाएं !
एक सामूहिक उपलब्धि है
पटाखे फोड़ने के लिए।
बढ़ रही है देश में
संख्या अरबपतियों की,
क्या हुआ
जी रहे हैं जो
करोड़ों लोग
जिन्दगी कीडे-मकोडों की !
चलो "अम्बानियों" को
धूप-दीप लगायें !
उत्सव मनाएं !!

(संजीव रघुवंशी )

1 comment:

Anonymous said...

vah sanjeev sir aapne desh ko utsav maanane ki thhek salaah di hai,, akhir bihaar me humare kai bhai us din bhar pet bhojan bhi nahi hkar payenge.. or sara desh mithayinya batega..