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27.10.08

लक्ष्मी आएगी, लक्ष्मी आएगी, न जाने कब आयेगी

मेरे पिताजी के पिताजी के पिताजी के पिताजी... न जाने कब से लक्ष्मी पूजन करते आ रहे हैं। पर, लक्ष्मी है कि आने का नाम ही नहीं लेती। क्या पता, क्यों रूठीïï? मेरे परिवार में किसी को धन का दड़बा नहीं मिला। धन का दड़बा तो दूर बड़ी मशक्कत के बाद धन के दर्शन होते हैं। फिर भी हम इस आस में लक्ष्मीजी की पूजा करते हैं कि आज आएगी, कल आएगी परसों लक्ष्मी आएगी, पर जाने कब आएगी। ...और हम लिख्खाड़ों से न जाने क्यों लक्ष्मी रूठी है। कलमकारों ने न जाने क्या लक्ष्मी का बिगाड़ा है कि हम उनको फूटी आंख न सुहाते हैं, हमारे पास आतीं ही नहीं। दूर से चली जातीं है, न जाने क्या गुनाह हुआ है। कभी ढंग-ढांग से आती ही नहीं। आती है तो झलक भर दिखला जाती है और उल्लू पर सवार हो चली जाती है। सही बात है लक्ष्मी जी को उल्लू बहुत पसंद है, पर उपर वाले ने हमें उल्लू नहीं बनाया तो इसमें हमारा क्या दोष?
मैने तो सुना है कि बार-बार की मिन्नते करो, तो अच्छे-अच्छे का दिल पसीज जाता है, पर लक्ष्मी माता का दिल न जाने काहे से बना है, जो पसीजने का नाम ही नहीं लेता।मैं सोचता हूं कि लक्ष्मी आज प्रसन्न हो, कल खुश हो, इस साल खुश हो, उस साल खुश हो, पर अपन पर तो लक्ष्मी न जाने कब हेप्पी होगी। हेप्पी से याद आया, धन तेरस दिपावली शुरू हो गयी है । तो, भाया, आपको हेप्पी धन तेरस, हेप्पी रूप चौदस, हेपपी, दिवाली, हेप्पी पड़वा, हेप्पी भाई दूज, हेप्पी॥हेप्पी॥हेप्पी।आपके घर आए धन,आपका निखरे रूप, मजे से मनाऐ दिवाली, आपआपस में बड़े प्यार,और भाई दूज पर मिले आपको उपहार।
...और हां। मेरी हेप्पी नेस के लिए प्रे जरूर करना। आपकी प्रे से मुझे मिलेगा धन, निखरेगा रूप, तो फिफ्टी परसेंट आपका। पर, इस बात को प्रुफ करना होगा कि ये आपकी प्रे का ही कमाल है। फिलहाल, आपको विश यू हेप्पी दीपावली(नियम और शर्ते लागू)
आपका...
पंकज व्यास

1 comment:

Anonymous said...

achchhaa laga
priya, ahamadabad