भारतीय वित्तीय संकट और खबरिया चैनल के लिए ख़बर ही ख़बर, सुबह होते ही मुम्बई का शेयर बाजार खुलता है और शुरु हो जाती है बाजार की समीक्षा, विभिन्न विशेषज्ञों की सहायता से बाजार के उतार चढाव को समझने और समझाने के क्रम में चैनल के पत्रकारों के एक शब्द ने मुझे विशेष आकर्षित किया कि जब जब बाजार का विश्लेषण करते हैं तो आम आदमी की भाषा यानी की ले मैन की भाषा में का उपयोग करते हैं।
काफी सारी डिक्शनरी छान मारी मगर इस शब्द का आम आदमी से सरोकार होने का दूर दूर तक वास्ता न मिला, हाँ नीच, गीरे हुए, कमीने, जाहिल, नालायक को जरूर ले मैन से परिभाषित किया गया है सो प्रश्न तमाम ले मैन से की खबरिया चैनल के टकिए पत्रकार ने आम को इतने सारे परिभाषित ऐसे कैसे कर दिए।
नि:संदेह ये परिभाषा तो भडासी के लिए सटीक बैठती है, ख़बर आप भी देखें और नए परिभाषित शब्द से आनंदित हों।
जय जय भड़ास
16.10.08
ले मैन यानी की आम आदमी.
Labels: आम जन की बदलती परिभाषा, खबरिया चैनल, रजनीश
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1 comment:
राष्ट्रधर्म या स्वधर्म की बहस आगे बढायें
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