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26.10.08

श्रीरामजी आ गए हैं...

रहा एक दिन अवधि कर अति आरत पुर लोग
जहं तहं सोचहिं नारि नर कृस तन राम वियोग
अर्थात रामजी के लाटने की अवधि का एक ही दिन बाकी रह गया अतएव नगर के लोग बहुत आतुर हो रहे हैं। राम के वियोग में दुबले हुए स्त्री-पुरुष जहां तहां सोच-विचार कर रहे हैं कि क्या बात है श्रीरामजी क्यों नहीं आये

सगुन होहिं सुंदर सकल मन प्रसन्न सब केर
प्रभु आगवन जनाव जनु नगर रम्य चहुं फेर
अर्थात प्रभु के आगमन की सूचना के बाद सब सुंदर शकुन होने लग। सबके मन प्रसन्न हो गए। नगर भी चारों ओर से रमणीक हो गया। मानों ये सब के सब प्रभु के आगमन को जना रहे हैं।

जासु बिरहं सोचहु दिन राती रटहुं निरंतर गुन गन पांती
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता आयउ कुशल देव मुनि त्राता
अर्थात जिनके विरह में लोग दिन रात सोचते रहते हैं जिनके गुण समूह की पंक्तियों को आप निरंतर रटते रहते हैं। वे ही रघुकुल के तिलक सज्जनों को सुख देने वाले और देवताओं तथा मुनियों के रक्षक श्रीरामजी सकुशल आ गए हैं।
दीपावली की शुभकामनाएं...

1 comment:

Vivek Gupta said...

बहुत बढ़िया | आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.