राम-राम सा। आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। यह पर्व आप सभी के लिये मंगलमय हो। अब कुछ बेतुकी हो जाए।दास जी के पुत्र को एक्जाम में दीपावली का निबंध लिखने को दिया गया। बालक मन ने इतना अच्छा निबंध लिख दिया कि मास्टर जी प्रसन्न हो गये। बोले बेटा तुझे बी.एड., पीएचडी करने की कोई जरूरत नहीं। महान पिता की महान संतान, तुम तो लोगों को भाग्य विधाता बनोगे। निबंध इस प्रकार था।दीपावली मैया लक्ष्मी को मनाने का त्यौहार है। मैया लक्ष्मी बहुत दयालु हैं, कृपालु हैं। वह साल में एक दिन वार्षिक निरीक्षण पर निकलती हैं। सालाना निरीक्षण के लिये उन्होंने अमावस की काली रात को चुना है। इस सालाना निरीक्षण के लिये लोग घरों की सफाई करते हैं। जो अमीर हैं वो हर साल हर कमरे में महंगा वाला डिस्टेंपर करवाते हैं और जो गरीब हैं वो चार साल की गारंटी वाला डिस्टेंपर करवाते हैं। उनसे भी ज्यादा गरीब चूने से काम चलाते हैं। गांवों में लोग गाय-भैंस की पॉटी से भी काम चला लेते हैं। इस प्रक्रिया को ठीक वैसे ही समझा जा सकता है जैसे कोई वरिष्ठ अधिकारी सरकारी दफ्तर में सालाना निरीक्षण पर जाता है। इसके लिये अधिकारी कार्यालय को साफ कराते हैं। कमीशन वाले ठेकेदार से आफिस की पुताई करवाते हैं।रंगाई पुताई के बाद घर के बाहर खूब सारी लाइटें और झालर लगायी जाती हैं। जब से चाइना वालों को दीपावली के बारे में मालूम पड़ा है उन्होंने 25-30 रुपये की झालर बेचकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों की बत्ती गुल कर दी है। ये झालर सामान्य तौर पर सीधे बिजली के खम्भे पर जम्पर डालकर लगायी जाती है। चोरी की बिजली से झालर जलाने का आनन्द ही कुछ और होता है। झालर लगाने के बाद रात को मैया का पूजन किया जाता है। हमारे देश में पुरानी कहावत है, पैसा ही पैसे को खींचता है। इसी लिये लोग मैया के सामने चांदी-सोने के सिक्के रखकर पूजा करते हैं।दीपावली का महत्व अधिकारी और प्रभावशाली लोगों के लिये विशेष होता है। कई अधिकारी तो साल भर तक आने वाले गिफ्ट का इंतजार करते रहते हैं। जितना बड़ा अधिकारी उतने ज्यादा गिफ्ट। शहरों में अक्सर देखा गया है कि लोग अपने घर में मिठाई का डिब्बा भले ही न ले जाएं पर अधिकारी को खुश जरूर करते हैं। जिस अधिकारी से जैसा काम पड़ता है वैसे ही गिफ्ट उसे दिये जाते हैं। ठेकेदार अपने-अपने विभागों के अफसरों को खुश करने के लिये मिठाई और पटाखे ले जाते हैं। एक बार अफसर खुश तो साल पर बल्ले-बल्ले। इन लोगों को मानना है कि मां लक्ष्मी साल में एक ही दिन के भ्रमण पर निकलती हैं बाकी के 364 दिन तो वह उन्हीं के यहां रहेंगी।मैया के आने के इंतजार में कुछ लोग अपने घरों के दरवाजे खुले छोड़ देते हैं। इन लोगों के घरों में चोरी हो जाती है तो भी यह समझते हैं कि मैया ने पुराना माल बाहर निकला दिया अब नया भिजवायेगी। यह त्यौहार उन लोगों के लिये बहुत ही बढ़िया है जो जुआ खेलते हैं। मैया ताश के पत्तों से होकर उनके घर का दरवाजा खटखटा देती है।इस त्यौहार का लाभ उन लोगों को भी है जो किसी न किसी रूप में सरकारी हैं। यही कारण हैं कि अपनी दीपावली मनाने के लिये दूसरों का जेब तराशना जरूरी है। खर्चे बढ़ते हैं तो छापे भी मारने पढ़ते हैं। अफसर को भी घर पर मिठाई चाहिये। उस बेचारे को भी अपने बड़े संतुष्ट करने होते हैं। बिजली वाले चोरी रोकने के लिये बागते हैं। जहां चोरी न हो रही हो वहां जम्पर डालकर चोरी करवाते हैं फिर खुद ही छापा मार देते हैं। इन्हीं लोगों ने कहावत बनायी है चोर से कह चोरी कर और सिपाही से कहो जागते रहे। अक्लमंद लोग साल में एक बार ही इतने गिफ्ट ले लेते हैं कि बाद में जरूरत ही न पड़े क्योंकि दीपावली गिफ्ट भ्रष्टाचार नहीं होता। यह तो सदाचार होता है।पूजा करने के बाद लोग अपने पैसे में खुद आग लगाते हैं और तालियां बजाते हैं। यह काम कालीदास जी से प्रेरणा लेकर किया जाता है। कालीदास जी जिस डाली पर बैठते थे उसी को काटते थे। इस दिन गणेश भगवान की भी पूजा होती है। लोग गणेश जी से कहते हैं कि वह अपने चूहे को समझायें कि वह दूसरे घरों से लक्ष्मी मैया को लेकर आयें।उपसंहारइस तरह से साफ है कि दीपावली सभी को खुश करने का दिन होता है। बड़ी-बड़ी कम्पनियां भी अपनी दीपावली मनाने के लिये गिफ्ट पैक भी बाजार में लाती हैं।पंकुल
28.10.08
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