वर्ष 2008 के सबसे महत्वपूर्ण संदेश-
1 सत्य बोलो, प्रिय बोलो; किंतु ऐसा अप्रिय सत्य कदापि न बोलो जो हमारे माननीय जन-प्रतिनिधियों को पसंद न हो। चाहे आप किसी शहीद के पिता, पत्नी, पुत्र या स्वयं कोई पीड़ित ही क्यों न हों। क्योंकि इससे उनकी संवेदना आहत होती है।
2 आजादी की खुशफहमी दिल से निकल दें,क्योंकि सिर्फ़ आपके अंगूठे ही आजाद हैं, वोटिंग मशीन का बटन दबाएँ या दिखाएँ ।
3 एकता में बल है, इसलिए धर्म, संप्रदाय, वर्गों से ऊपर उठ 'मानवता परमो धर्मः ' के सिद्धांत को अपनाएं।
(मेरी भावनाओं से किसी को ठेस पहुँची हो तो अग्रिम खेद व्यक्त करता हूँ। )
1 comment:
I like your blog
Post a Comment