वो गुरु-शिष्य परंपरा को
कुछ इस तरह निभा रहे हैं
बाहर रेस्तारेंट मैं
एक ही सिगरेट से
धुआं उड़ा रहे हैं
http://www.tirchinagar.blogspot.com/
21.12.08
गुरु-शिष्य
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
वो गुरु-शिष्य परंपरा को
कुछ इस तरह निभा रहे हैं
बाहर रेस्तारेंट मैं
एक ही सिगरेट से
धुआं उड़ा रहे हैं
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3 comments:
kya karenge aap aur ham... Ghor kliyug jo hai...
kamal hai,
kamal hai,
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