विनय बिहारी सिंह
सभी जानते हैं कि मां सरस्वती विद्या की देवी हैं। वे मातृ शक्ति हैं। देखा जाए तो सारे महत्वपूर्ण विभाग मातृ शक्ति के पास हैं। रक्षा, विदेश औऱ गृह मंत्रालय विभाग मां दुर्गा और काली के पास है, शिक्षा विभाग- मां सरस्वती के पास औऱ फाइनेंस या वित्त मां लक्ष्मी के पास हैं। ये माताएं शक्ति स्वरूपा हैं। कहा जाता है शक्ति के बिना कुछ नहीं। सच तो है। बिना शक्ति के हम अपने मुंह में खाना तक नहीं डाल सकते। हमारे पूरे शरीर की देखभाल माताएं ही करती हैं। तब हम क्यों न मां की अराधना करें। कहा भी गया है- या देवी सर्वभूतेसु, शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः। मां सरस्वती शिक्षा की देवी हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम पढ़े- लिखें नहीं और सिर्फ सरस्वती की पूजा करें। नहीं। सरस्वती की पूजा करने का अर्थ है- गहन अध्ययन, मनन और अपने विषय में पटु होना। पढ़ने, गुनने से ही मां सरस्वती खुश होती हैं। शिक्षा के जितने भी अंग हैं- कला, संगीत, तकनीक और अन्य शिक्षाएं उसकी जनक मां सरस्वती ही हैं। हमारा सौभाग्य है कि शिक्षा विभाग, रक्षा विभाग और वित्त विभाग माता के पास है।
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