सही जा रहे हो अमिताभ जी वैसे भी यह हेमलेट राजनेता कुछ करने थोडी वाले हैं। संसद में आतंकवादी घुसे थे तब भी क्या उखाड़ लिया था। चार दिन सीमा में सेना को खड़ा किया फिर हमें फीलगूड होने लगा और क्रिकेट डिप्लोमेसी शुरू हो गई। इस बार भी यही होने जा रहा है। बेशक जान गंवाने वालों के परिजन पर क्या बितती है उसे समझ पाना मुश्किल है। पर इतनी जाने गवाने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलता तो लगता नहीं की लोगों की कुर्बानी बेकार जा रही है। मुंबई में हुआ हमला कितना बड़ा है यह इसी से समझ लीजिये की अगर कसब और इस्माइल द्वारा छोडा गया बम अगर २९६ मिनीट में फट गया होता तो यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे खतरनाक हमला होता । और मुंबई को दुनिया हिरोशिमा और नागासाकी की तरह आने वाली कई सदियों तक याद करती । बेशक और जाने गंवाने से बचने का प्रयास करना चाहिए, पर वे बचने वाली नहीं हैं। बस अगली बार रामलाल की जगह मांगीलाल मरेगा।
28.12.08
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