उत्तरप्रदेश के एक इलाके विशेष में खुर्रांट मगर मजदूर जाति में बीच एक कहावत प्रचलित है। कहावत उनके काम के तरीके और बिंदास जीवनशैली को लेकर है। वह कहावत है भाड़ (भाड़ की जगह और भी भद्दा शब्द इस्तेमाल किया जाता है) में गई नौकरी और बेंच खाई बंदूक, फिर करेंगे नौकरी फिर लाएंगे बंदूक। इस समुदाय के लोग भट्टे पर काम करते हैं। दिसंबर के महीने में यह काम पर जाते हैं और जब लौटते हैं तो काफी पैसा होता है। इससे वह अपनी शौक की चीजें मसलन घड़ी, रेडियो, साइकिल खरीद लेते हैं। धीरे-धीरे जब पैसे खत्म होना शुरु होते हैं और शराब जरूरी होती है तो एक-एक कर सामान बेंचना शुरु कर देते हैं। तब इन लोगों के बीच यही लाइन दोहराई जाती है। मंदी की मार में जिनकी नौकरी जा रही है क्या वह ऐसी लाइन दोहराने का जिगर रखते हैं। नहीं तो इनसे सीख लो।
30.12.08
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2 comments:
ज़बरदस्त!
शानदार कहावत
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