एक बात कहानी थी आपसे...कहूँ...??
आप लाजवाब लिखते हो साहब....मगर ये इस ग़ज़ल में वो बात नहीं......जो बात...........आप समझ गए होंगे.....हम सबको सिर्फ़ बढ़िया है...और एक-दूसरे को बधाई ही देने से फुर्सत नहीं मिलती....मजा यह कि हर ब्लागर की हर रचना श्रेष्ट ही होती है.....मगर यह सच भी नहीं होता.........अब ब्लॉग जगत में इस बात की गुन्जायिश जरूरी हो गई है....कि रचनाओं पर सच में ही सारगर्भित टिप्पणियां हों...ना कि सिर्फ़-व्-सिर्फ़ प्रशंसा के भाव...........आपकी रचनाएँ बड़ी अच्छी होती हैं... मगर सारी तो किसी की भी अच्छी नहीं हो सकती.....फिर कुछ ऐसे भी तो हैं...जो वाकई बहुत लाज़वाब नहीं लिखते....मगर उनकी भी वैसी ही प्रशंसा हम पाते हैं... क्यूँ भाई....एक कम अच्छी रचना को आप जरुरत से ज्यादा सम्मान देकर क्या आप उसकी भलाई करते हो....??नहीं ये उसका नुक्सान ही है....वो कमतर चीजों को भी अच्छा ही मान लेगा....और उसका टेस्ट शुरुआत से ही कमतर रह जायेगा.....!!.......प्रशंसा अच्छी बात है.....मगर औसत चीज़ के बारे में उचित ढंग से बताया जाना ज्यादा अच्छी प्रशंसा होगी...वो किसी नए...किंतु समझदार लेखक के लिए उसके हित का साधन भी बनेगी....और गैर समझदार अगर अनावश्यक रूप से उसे तूल दे...दे....तब भी कई ब्लागरों द्वारा उसे समझाया जाना मुमकिन है.....अमूमन तो सभी आए दिन अपनी पोस्ट प्रकाशित करते हैं....मगर वो हमेशा ही अपने "स्वामी" के स्तर की हो ही....ये कतई जरूरी नहीं.....हम सब लेखक भी हैं और अपने ही प्रकाशक भी.....यानि कि हम सब अकेले-अकेले भी मिडिया की इक-इक इकाई हैं....मिडिया के अंकुश में रहने की बात तो हमने कर दी....मगर हम पर किसका अंकुश है...??और अंकुश-हीन हम प्रकाशक-ब्लॉगर-लेखक जो स्तरीयता की मिसाल बन सकते हैं अपनी हड़बड़ी में...........रचनाओं को पेलने की अपनी घनघोर शौकीनी में ख़ुद अपनी-.....हिन्दी की-.......ब्लागर-जगत की-.....और हिन्दी- साहित्य का ही नुक्सान ना कर बैठें....!!हर रचना तो प्रेमचंद...ग़ालिब....मीर......आदि-आदि-आदि की भी जबरदस्त नहीं हुई थी.........हम किस खेत की मुली हैं....?? भाईयों .... इसे आप अपने ऊपर मत ले लीजियेगा.....आज तो बस इक विचार आ गया....जो जाने कब से मन में घूमता रहा है....आज संयोग-वशात मन से बाहर निकल पड़ा...वो भी आपकी रचना पर कमेन्ट के रूप में....सच में तो मैं आपसे बड़ा छोटा हूँ....मगर क्या करूँ आपने ख़ुद ने अपने लिए मानदंड काफ़ी ऊँचे बना लिए हैं... वैसे मेरा कमेन्ट आप-पर है भी नहीं...ये मुझ-सहित सब पर पूरी शिद्दत के साथ लागू होता है..........कम-से-कम उन सभी पर जो ब्लागरों में अत्यन्त लोकप्रिय हैं... सभी नए आने वालों को सही बात बताना बड़ों का कर्तव्य है...बिना अपनी बदनामी वगैरह की बाबत सोचे हुए...बदनाम होकर भी यदि कुछ अच्छा हो जाए तो यह ठीकरा आज मेरे ही सर....मैं यहाँ सीखने आया था....लेकिन देखा कि यहाँ तो कुछ सिखाया तो जाता ही .....!!नहीं बस रचनाएं ही रचनाये पेली जाती हैं....और अपनी रचनाओं पर टिप्पणियों का आनंद.....!!.....थोड़ा मज़ा तो मैंने भी लिया....मगर वही-वही-वही-वही..........देखते हुए अब ऊब-सी हो रही है...ये इसलिए है...कि सब (मेरे सहित) के सब दीवाने-गालिब-सी पुस्तक शायद आधे साल में ही ठोक देने वालें हैं.....बेशक "दीवान" पर रखने लायक उनमें चार भी ना हों....!!........ यह दुनिया बड़ी अद्भुत है... छोटे-छोटे युवा भी चकित कर देने वाला साहित्य रच रहे हैं.....बेशक साहित्य की अधिकता के कारण बहुत सारी अधबनी..अधूरी...अपरिपूर्ण रचनाएं भी आ जा रही हैं.....अब तक मैं ख़ुद भी इसमें शामिल रहा हूँ.... मगर अब और नहीं...!!.......सोचना भी जरुरी है कि कितना-क्या-और किस हद तक सही है खुबसूरत भी...और समय की आवश्यकता भी......!!....सिर्फ़ तात्कालिक भाव भर ही न हों.....हमारे विचार....!!...बल्कि ऐसे भी हों जो हमें चकित भी करें...और उसी वक्त व्यथित भी... भाईयों आपकी पोस्ट पर हमेशा अच्छा लगा है...मेरी बात को अन्यथा ना ले लेंगे...मुझे आपका प्यार और सुझाव दोनों ही चाहिए....जिसे मैंने बड़ी शिद्दत से एक टिप्पणी में आपसे मांगे भी थे....हम सभी ग़ज़ल के...कविता के....या किसी और विषय के जानकारों को अपनी जानकारी बांटनी चाहिए...मैं ख़ुद तो अनभिज्ञ हूँ....और यहाँ बहुत सारे लोग अद्भुत हैं....वो हम सबका मार्गदर्शन भी करते चलें.....हम जैसे लोग सदा आभारी रहेंगे...सच...हाँ सच.....!!
आप लाजवाब लिखते हो साहब....मगर ये इस ग़ज़ल में वो बात नहीं......जो बात...........आप समझ गए होंगे.....हम सबको सिर्फ़ बढ़िया है...और एक-दूसरे को बधाई ही देने से फुर्सत नहीं मिलती....मजा यह कि हर ब्लागर की हर रचना श्रेष्ट ही होती है.....मगर यह सच भी नहीं होता.........अब ब्लॉग जगत में इस बात की गुन्जायिश जरूरी हो गई है....कि रचनाओं पर सच में ही सारगर्भित टिप्पणियां हों...ना कि सिर्फ़-व्-सिर्फ़ प्रशंसा के भाव...........आपकी रचनाएँ बड़ी अच्छी होती हैं... मगर सारी तो किसी की भी अच्छी नहीं हो सकती.....फिर कुछ ऐसे भी तो हैं...जो वाकई बहुत लाज़वाब नहीं लिखते....मगर उनकी भी वैसी ही प्रशंसा हम पाते हैं... क्यूँ भाई....एक कम अच्छी रचना को आप जरुरत से ज्यादा सम्मान देकर क्या आप उसकी भलाई करते हो....??नहीं ये उसका नुक्सान ही है....वो कमतर चीजों को भी अच्छा ही मान लेगा....और उसका टेस्ट शुरुआत से ही कमतर रह जायेगा.....!!.......प्रशंसा अच्छी बात है.....मगर औसत चीज़ के बारे में उचित ढंग से बताया जाना ज्यादा अच्छी प्रशंसा होगी...वो किसी नए...किंतु समझदार लेखक के लिए उसके हित का साधन भी बनेगी....और गैर समझदार अगर अनावश्यक रूप से उसे तूल दे...दे....तब भी कई ब्लागरों द्वारा उसे समझाया जाना मुमकिन है.....अमूमन तो सभी आए दिन अपनी पोस्ट प्रकाशित करते हैं....मगर वो हमेशा ही अपने "स्वामी" के स्तर की हो ही....ये कतई जरूरी नहीं.....हम सब लेखक भी हैं और अपने ही प्रकाशक भी.....यानि कि हम सब अकेले-अकेले भी मिडिया की इक-इक इकाई हैं....मिडिया के अंकुश में रहने की बात तो हमने कर दी....मगर हम पर किसका अंकुश है...??और अंकुश-हीन हम प्रकाशक-ब्लॉगर-लेखक जो स्तरीयता की मिसाल बन सकते हैं अपनी हड़बड़ी में...........रचनाओं को पेलने की अपनी घनघोर शौकीनी में ख़ुद अपनी-.....हिन्दी की-.......ब्लागर-जगत की-.....और हिन्दी- साहित्य का ही नुक्सान ना कर बैठें....!!हर रचना तो प्रेमचंद...ग़ालिब....मीर......आदि-आदि-आदि की भी जबरदस्त नहीं हुई थी.........हम किस खेत की मुली हैं....?? भाईयों .... इसे आप अपने ऊपर मत ले लीजियेगा.....आज तो बस इक विचार आ गया....जो जाने कब से मन में घूमता रहा है....आज संयोग-वशात मन से बाहर निकल पड़ा...वो भी आपकी रचना पर कमेन्ट के रूप में....सच में तो मैं आपसे बड़ा छोटा हूँ....मगर क्या करूँ आपने ख़ुद ने अपने लिए मानदंड काफ़ी ऊँचे बना लिए हैं... वैसे मेरा कमेन्ट आप-पर है भी नहीं...ये मुझ-सहित सब पर पूरी शिद्दत के साथ लागू होता है..........कम-से-कम उन सभी पर जो ब्लागरों में अत्यन्त लोकप्रिय हैं... सभी नए आने वालों को सही बात बताना बड़ों का कर्तव्य है...बिना अपनी बदनामी वगैरह की बाबत सोचे हुए...बदनाम होकर भी यदि कुछ अच्छा हो जाए तो यह ठीकरा आज मेरे ही सर....मैं यहाँ सीखने आया था....लेकिन देखा कि यहाँ तो कुछ सिखाया तो जाता ही .....!!नहीं बस रचनाएं ही रचनाये पेली जाती हैं....और अपनी रचनाओं पर टिप्पणियों का आनंद.....!!.....थोड़ा मज़ा तो मैंने भी लिया....मगर वही-वही-वही-वही..........देखते हुए अब ऊब-सी हो रही है...ये इसलिए है...कि सब (मेरे सहित) के सब दीवाने-गालिब-सी पुस्तक शायद आधे साल में ही ठोक देने वालें हैं.....बेशक "दीवान" पर रखने लायक उनमें चार भी ना हों....!!........ यह दुनिया बड़ी अद्भुत है... छोटे-छोटे युवा भी चकित कर देने वाला साहित्य रच रहे हैं.....बेशक साहित्य की अधिकता के कारण बहुत सारी अधबनी..अधूरी...अपरिपूर्ण रचनाएं भी आ जा रही हैं.....अब तक मैं ख़ुद भी इसमें शामिल रहा हूँ.... मगर अब और नहीं...!!.......सोचना भी जरुरी है कि कितना-क्या-और किस हद तक सही है खुबसूरत भी...और समय की आवश्यकता भी......!!....सिर्फ़ तात्कालिक भाव भर ही न हों.....हमारे विचार....!!...बल्कि ऐसे भी हों जो हमें चकित भी करें...और उसी वक्त व्यथित भी... भाईयों आपकी पोस्ट पर हमेशा अच्छा लगा है...मेरी बात को अन्यथा ना ले लेंगे...मुझे आपका प्यार और सुझाव दोनों ही चाहिए....जिसे मैंने बड़ी शिद्दत से एक टिप्पणी में आपसे मांगे भी थे....हम सभी ग़ज़ल के...कविता के....या किसी और विषय के जानकारों को अपनी जानकारी बांटनी चाहिए...मैं ख़ुद तो अनभिज्ञ हूँ....और यहाँ बहुत सारे लोग अद्भुत हैं....वो हम सबका मार्गदर्शन भी करते चलें.....हम जैसे लोग सदा आभारी रहेंगे...सच...हाँ सच.....!!
5 comments:
I would like to follow your IDEA.
THANK YOU
ओए भूत तुस्सी ग्रेट हो...
सौ फीसदी आपसे सहमत हूँ... लोग जो मन में आ जाए अनाप-शनाप लिख देते हैं, और कमेंट्स के पुल बाँध दिए जाते हैं... भला या बुरा, कहाँ देखते हैं अधिकतर... और रचनाकार भी कहाँ ध्यान रखते हैं कि, सिर्फ़ तात्कालिक भाव भर ही न हों.....हमारे विचार...!!! लेकिन इस बात से सहमत नहीं हूँ कि सभी ऐसा करते हैं, मेरे ब्लॉग पर आए कई कमेंट्स काफी सार्थक थे (सब नहीं)... और मेरे जैसे एक नए सीखने वाले को बहुत कुछ सिखाने का माद्दा भी रखते थे... और अब मैं सीखने कि ख्वाहिश भी रखता हूँ...!!! सो आप सबों से अनुरोध है कि लल्लो-चप्पो छोडें, सार्थक टिप्पणियाँ ही करें...!!! वरना कहीं एक दिन ऐसा ना आ जाए कि लोग ब्लॉग पर पोस्ट लिखें... मेरा आज का दिन बाथरूम में (चंद तस्वीरों के साथ), और लोग वाह-वाही के अम्बार लगा दें...!!! धन्यवाद !
सौ फीसदी आपसे सहमत हूँ... लोग जो मन में आ जाए अनाप-शनाप लिख देते हैं, और कमेंट्स के पुल बाँध दिए जाते हैं... भला या बुरा, कहाँ देखते हैं अधिकतर... और रचनाकार भी कहाँ ध्यान रखते हैं कि, सिर्फ़ तात्कालिक भाव भर ही न हों.....हमारे विचार...!!! लेकिन इस बात से सहमत नहीं हूँ कि सभी ऐसा करते हैं, मेरे ब्लॉग पर आए कई कमेंट्स काफी सार्थक थे (सब नहीं)... और मेरे जैसे एक नए सीखने वाले को बहुत कुछ सिखाने का माद्दा भी रखते थे... और अब मैं सीखने कि ख्वाहिश भी रखता हूँ...!!! सो आप सबों से अनुरोध है कि लल्लो-चप्पो छोडें, सार्थक टिप्पणियाँ ही करें...!!! वरना कहीं एक दिन ऐसा ना आ जाए कि लोग ब्लॉग पर पोस्ट लिखें... मेरा आज का दिन बाथरूम में (चंद तस्वीरों के साथ), और लोग वाह-वाही के अम्बार लगा दें...!!! धन्यवाद !
भुत भाई,
बेतरीन बात कह गए,
भैई ऐसे ही पेले रहिये.
जय जय भड़ास
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