विनय बिहारी सिंह
पातंजलि योग सूत्र अद्भुत पुस्तक है। गीता प्रेस ने इसे प्रकाशित किया है। इसमें बताया गया है कि अष्टांग योग क्या है। अष्टांग योग- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। यम यानी क्या नहीं करना चाहिए। नियम यानी क्या करना चाहिए। आसन यानी कैसे बैठना चाहिए। प्राणायाम यानी श्वांस कैसे नियंत्रित करें। धारणा यानी ईश्वर की छवि मन में कैसे अंकित करें। ध्यान - ईश्वर पर आप लगातार ध्यान केंद्रित करें। समाधि- यह अंतिम स्थिति है। तब मन का ईश्वर में लय हो जाता है। यह तो संक्षेप में है। विस्तार से यह पातंजलि योग सूत्र में मिलेगा।
ध्यान- यानी ईश्वर पर लगातार ध्यान लगाना। सामान्य व्यक्ति का ध्यान लगातार ईश्वर पर नहीं लगता। लेकिन धीरे- धीरे अभ्यास से यह निरंतर भगवान में लीन हो जाता है। तब मन ईश्वर के अलावा और कहीं जाता ही नहीं। खाते, पीते, सोते, काम करते और यहां तक कि चलते- फिरते मन ईश्वर में ही लगा रहेगा। यह है मन का ईश्वर में लय होना। इसके लिए परमहंस योगानंद ने कई वैग्यानिक तकनीक बताए हैं जिसे ऋषि- मुनियों ने प्राचीन काल में विकसित किया है। परमहंस योगानंद की पुस्तक- योगी कथामृत में इसका विस्तार से वर्णन है। योगी कथामृत दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में अनूदित हो चुकी है।
18.12.08
पातंजलि योग सूत्र बार- बार पढ़ने योग्य
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