उनकी जनशक्ति पार्टी की हालत ये हो गयी की उस मुहफट ढोंगी नारी को जनता ने ठुकरा दिया उसे अर्श से फर्स पर पटक दिया जनता ने बात दिया की जो किसी और को नहीं समझता उसे भी कोई नहीं समझता !!खुद को साध्वी कहने वाली उमा के परिवार के ही कई लोग उसके भाई, लोगों को लूटते है,कभी बन्दूक की दम पर तो कभी चाकू की दम पर और शाध्वी सिर्फ कहने की शाध्वी है उनमे संतों जैसा एक गुण नहीं है !!
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3 comments:
मेरे मन मे आज भी उमा भारती जी के लिए सम्मान का भाव है। जरुर उन्होने उचित निर्णय लेते हुए यह कदम उठाया होगा। महज चुनावी असफलता से उमा जी के कदम को गलत साबित नही किया जा सकता है। भारतीय समाज की वह एक पुज्यनीया विरांगना है। भाजपा को आत्म-सुधार के लिए प्रेरित करने के लिए ही उन्होने अपना बलिदान दिया था। भाजपा देश की एक मात्र आशा है, मुझे विश्वास है की उमा दिदी के बगावत ने भाजपा को प्रकारंतर से बल ही पहुंचाया है।
मेरे मन मे आज भी उमा भारती जी के लिए सम्मान का भाव है। जरुर उन्होने उचित निर्णय लेते हुए यह कदम उठाया होगा। महज चुनावी असफलता से उमा जी के कदम को गलत साबित नही किया जा सकता है। भारतीय समाज की वह एक पुज्यनीया विरांगना है। भाजपा को आत्म-सुधार के लिए प्रेरित करने के लिए ही उन्होने अपना बलिदान दिया था। भाजपा देश की एक मात्र आशा है, मुझे विश्वास है की उमा दिदी के बगावत ने भाजपा को प्रकारंतर से बल ही पहुंचाया है।
जो भी गैर अनुशासित लोग अपने को पार्टी से ऊपर समझते हैं उनका ये ही हश्र होता है, बिहार में डोक्टर जगन्नाथ मिश्रा और राजस्थान में नटवर सिंह के साथ मध्य प्रदेश में उमा भरती इसकी उदाहरण बन गयी हैं,
अगर नेता ही अनुशाषित नही है तो पार्टी संदेह के घेरे में आ ही जाती है,
जय जय भड़ास
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