विनय बिहारी सिंह
गंध बाबा के नाम से प्रसिद्ध विशुद्धानंद परमहंस सूर्य विग्यान के प्रवर्तक माने जाते हैं। वे तत्काल कोई भी गंध पैदा कर सकते थे। गुलाब, चमेली, केवड़ा और ऐसे ही अनंत फूलों का गंध पैदा करने में उन्हें एक सेकेंड लगता था। वे सिर्फ गंध ही नहीं, फल, मिठाई या कुछ भी हवा से पैदा कर देते थे। लेकिन ठहरिए। हवा से नहीं, सूर्य की किरणों से पैदा करते थे क्योंकि सूर्य विग्यान में वे पारंगत थे। तो फिर रात को सूर्य की किरणें कहां रहती हैं? उनका कहना था सूर्य की किरणों का प्रभाव रात में भी रहता ही है। सूर्य विग्यान, चंद्र विग्यान, नक्षत्र विग्यान, वायु विग्यान और शब्द विग्यान पर उनकी पुस्तकें आज भी मिल सकती हैं। वे एक वस्तु को दूसरे में बदलने में माहिर थे। यानी आपके सामने अगर एक गिलास रखा है तो उसे वे बड़े मेज में बदल सकते थे। गंध बाबा यानी विशुद्धानंद सरस्वती १८वीं शताब्दी में पैदा हुए और उनका निधन १९३७ में हुआ था। यह प्रश्न सहज ही उठ सकता है कि उनकी जन्मतिथि कैसे पता चलेगी? जैसा कि अनेक संतों के साथ यह रहस्य है, गंध बाबा की प्रामाणिक जन्म तिथि कहीं उपलब्ध नहीं है। उनके एक प्रसिद्ध भक्त गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि एक बार वे सिद्धियों के बारे में उन्हें (गोपीनाथ कविराज को) समझा रहे थे। इसी क्रम में उन्होंने अपनी तर्जनी उंगली को इतना लंबा और मोटा कर दिया कि वे अवाक् रह गए। गोपीनाथ कविराज काफी दिनों तक वाराणसी में रहे औऱ बाद में वे कोलकाता के पास मध्यमग्राम नामक इलाके में बस गए औऱ अंतिम समय तक वहीं रहे। वे गंध बाबा के बहुत करीबी शिष्य थे और उच्च कोटि के साधक थे। उन्होंने भी विस्तार से अपने गुरु के बारे में लिखा है। गंध बाबा का कहना था कि मान लीजिए कपूर बनाना है। तो सूर्य की श्वेत रश्मियों के ऊपर क म त र शब्द स्थापित कर देने से कपूर तत्काल आपके सामने हाजिर हो जाएगा। लेकिन कपूर में तो म या त शब्द है ही नहीं? इस पर वे मुस्करा देते थे। यानी यह रहस्य है। बहरहाल गंध बाबा कहते थे कि यह सब चमत्कार ईश्वर की शक्तियों का मामूली अंश है। कोई भी यह चमत्कार कर सकता है, बशर्ते कि उसमें एकाग्रता और अत्यंत गहरी आस्था हो।
11 comments:
जय हो.....जय हो ....जय हो
जय हो गंध बाबा की !
वैसे मैं मूरख अज्ञानी यह भी जानना
चाहता हूँ की ये बाबा गंध फैलाने के
अलावा और क्या क्या करते थे ?
मेरा तात्पर्य है की एक आध फल या मिठाई
प्रकट करने के अतिरिक्त समाज की भलाई में
क्या योगदान दिया इन्होने ?
मुझे उम्मीद है आप समय-समय पर लंगोटी
वाले बाबा , चिमटे वाले बाबा , नीबू वाले बाबा , कीलों वाले बाबा , मौनी बाबा, औघड़ बाबा, नंगे बाबा, इत्यादि...इत्यादि के बारे में भी सबको जानकारियाँ देते रहेंगे !
गंध बाबा गंध फैलाने के अलावा ईश्वरीय सत्ता की व्याख्या करते रहते थे। समाज में प्रेम, भाई- चारा और ईमानदारी का महत्व बताते रहते थे।
विशुद्धानंद सरस्वती कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे। ये कोई चमत्कार दिखाने वाले मदारी नहीं थे भाई।
धन्यवाद। अगर अन्य दिव्य बाबाओं की जानकारी मिलेगी तो अवश्य लिखूंगा। - विनय बिहारी सिंह
अरे बिहारी बाबू
क्या ग़लत कह दिया प्रकाश जी ने ?
आप काहे बाबा की मार्केटिंग कर रहे हैं ?
ऐसे बाबाओं की भारत में बाढ़ आई हुयी है ,
सारे बाबा हाउसफुल चल रहे हैं,
३३ करोड़ देवी देवता भी कम पड़ गए हमको, अगर कोई संत पुरूष है तो आप सिर्फ
मानवीय पहलू पे बात कीजिये ,,
उसमें चमत्कार की बातें क्यों जोड़ रहे हैं ?
उंगली बड़ी करने से या चीजों को बदल देने
से अथवा फल और मिठाई ला देने से क्या
सिद्ध होता है ?
अरे सिद्ध पुरूष थे तो कम से कम एक दिन
गेंहू या चावल ही बरसा देते ताकि गरीब जनता
का कुछ तो भला होता
अरे बिहारी बाबू
क्या ग़लत कह दिया प्रकाश जी ने ?
आप काहे बाबा की मार्केटिंग कर रहे हैं ?
ऐसे बाबाओं की भारत में बाढ़ आई हुयी है ,
सारे बाबा हाउसफुल चल रहे हैं,
३३ करोड़ देवी देवता भी कम पड़ गए हमको, अगर कोई संत पुरूष है तो आप सिर्फ
मानवीय पहलू पे बात कीजिये ,,
उसमें चमत्कार की बातें क्यों जोड़ रहे हैं ?
उंगली बड़ी करने से या चीजों को बदल देने
से अथवा फल और मिठाई ला देने से क्या
सिद्ध होता है ?
अरे सिद्ध पुरूष थे तो कम से कम एक दिन
गेंहू या चावल ही बरसा देते ताकि गरीब जनता
का कुछ तो भला होता
ghor kaliyug aa gaya hai
dekhna tum logon ko baaba ka aisa shraap lagega ki aayinda blog nahin likh paaoge.
jai baba gandh ki
श्रद्धा रखना है तो घर पर फोटो टांग के पूजा करो
मार्केटिंग करने मत निकलो
yaad rakhiye.
murkhon ko gyan dena varjit hai.
aise logon ke saamne aap baat kyon karte hain.
aur bhi blog hain,forums hain jahaan aap ko acche shrota mil jayenge.
surya vigyan ke jaankaar vishuddha nanad saraswati ji ka main dil se aadar karta hoon aur unhain pranaam karta hoon.
kash unke kisi bhakt se milna ho sake.
अनास्था भी तर्कसिद्ध होनी चाहिए । किसी की अज्ञानता ही अनास्था बन जाए तो गोपीनाथ कविराज जैसे अध्येता व उस अध्येता द्वारा समादृत व्यक्तित्व भी उपहास के पात्र हो जाते हैं और यह सब होता है चलताऊ नारेबाजी के साथ। -प्रवीण पण्ड्या
इनकी बुक्स कहां से उपलब्ध हो सकती है?
मूर्ख, खुद को मुक्त कर लेना ही सर्वश्रेष्ठ सेवा है !
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