संजय जी आप कितने अजीब प्राणी हो भाई ..पहले भी आपको पढ़ा लगा कोई समझदार इंसान होगा पर जब से आपकी "जवान साली फिसल गई " पढ़ा आपकी औकात का अंदाजा हो गया कम से कम यार जवान को जुबान तो कर लिया होता । लडाई तो आपकी सम्भवजी से थी पर आपकी किडनी इतनी कमज़ोर है जो कमेन्ट करने वालो से भी पंगेवाजी पे उतर आए। यार जहाँ तक बात हिजडो की तरह सहानुभूति बटोरने की है तो इतना तो समझले की आप हिजडो की तरह ताकतवर भी नही हो...यार शारीरिक विकलांग होते हुए भी वे ज़माने से डट कर लड़ते हैं। सोचिये जरा आप जैसे मर्दों में अगर लिंग ही ना रहे तो मर्दानगी दिखाने की अधूरी ख्वाहिश पाले खुदकुशी कर लेंगे....
जहाँ तक बात भड़ास निकालने की है तो यार भडासी एक दुसरे पर ही गरज रहे हैं, कहीं ऐसा ना हो जाए हम सिर्फ़ गरजे ही बरसने की औकात ही ना रहे , यशवंत दादा ने मंच दिया है भड़ास निकालने के लिए तो इसका इस्तेमाल तो सही तरीके से करो यार...
मिलजुल कर कहो, आपस में मत लडो...
जय जय भड़ास.........
24.12.08
बताओ भडासी तुममे तो हिजडे जितनी भी ताकत नही........
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
6 comments:
भाई आकाशजी, संभवजी और परममर्द संजयजी आप तीनो भड़ास की महता समझते हैं अच्छी बात है. भड़ास निकालिए और भड़ास सहिये.....
अखिलेश बाबू आप किनारे बैठ कर इनकी गू की होली का मजा लीजिये जरूरत होगी तो मैं भी आ जाउंगा होली है..... का नारा लगाता हुआ:)
भड़ास निकालना और उसे सहना अब मात्र शाब्दिक स्तर तक ही है लेकिन इस वेबपेज से बाहर भी भड़ास ने इस ताकत को दिखाया था एक जमाना था तब आप इस पन्ने पर नहीं थे। हिजड़े इस जगह सलाहकारों की जमात में थे। अब शायद सलाहकार हिजड़े हुआ करते हैं।
जय जय भड़ास
बाह भाई क्या बात है संजय जी आप जानते थे की ये एक पोस्ट और करेंगे और सच उन्होंने बता भी दिया की वो हिजडे है अब बात को बंद कीजिये क्या फायदा यार ,हिजडे के मुह लगने से !!
माफ़ कीजिये हिजडों के मुह लगने से ,अगर आप की यही सैली बन गई तो आपकी किताब ''रिदम ऑफ़ लव'' छपने से पहेले की बंद हो जायेगी !!
सब यही कह्नेंगे की यह लेखक हो ही नही सकता!!
बाह भाई क्या बात है संजय जी आप जानते थे की ये एक पोस्ट और करेंगे और सच उन्होंने बता भी दिया की वो हिजडे है अब बात को बंद कीजिये क्या फायदा यार ,हिजडे के मुह लगने से !!
माफ़ कीजिये हिजडों के मुह लगने से ,अगर आप की यही सैली बन गई तो आपकी किताब ''रिदम ऑफ़ लव'' छपने से पहेले की बंद हो जायेगी !!
सब यही कह्नेंगे की यह लेखक हो ही नही सकता!!
मतलब मैंने सही कहा था ..मुझे खुशी है की मेरा अंदाजा इस बार भी ग़लत नही निकला!!
अभी जल्दी में हूँ जाना पड़ेगा..लेकिन इस बादे के साथ की हम कल मिलेंगे ओके बाय !!
मजा आया !!अखलेश जी की नेक सलाह पसंद आई शुक्रिया!!
वैसे भी भड़ास पर कुछ दिन से कुछ था नही ..लेकिन अब मजा आता रहेगा !!
रजनीश जी इस गु की होली से आपका आगन कहा साफ़ रहने वाला है !!
ये होली आपका आगन भी गन्दा कर देगी विस्वास नही तो देख लेना !!
जय जय भड़ास!!
डाक्टर साहब सत्य कहा आपने,
और मर्दानगी सिर्फ़ मांस के लटकते लोथरे और दो इंच के कटाव से स्त्रीत्व, मुझे बड़ी ग्लानी है की मैं भड़ास का सदस्य हूँ, जिस भड़ास ने मुद्दों की जुगाली की, जिस भड़ास ने बिछडे माँ को बेटे से मिलाने के लिए मुहीम चली, जिस भड़ास ने करुनाकर के लिए असीम कोशिश की, आज वोह भड़ास सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने स्वम्भू मर्दानगी के खोखले दावे पर टिका लग रहा है.
कहाँ गई वो भड़ास की आग, कहाँ गए वो भड़ास के बांकुड़े, कहाँ गया वोह भड़ासपॅन.
अब तो सच में लगता है गुहं की होली है और सारे गुहं में लोटने वाले बकरचोद.
अगर भड़ास होता, भड़ास की आग होती, चलो आग न सही धुना ही होता तो बकचोदी की जगह मुद्दों की जुगाली चल रही होती मगर यहाँ तो बस एक दुसरे पर गुहं डालने की होली चल रही है.
शायद ये भड़ास की नयी शुरुआत है.
जय जय भड़ास
Post a Comment