Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

9.4.09

जूते से पहचान हो मेरी

मुझे लगता है, पी.चिदंबरम की प्रैस वार्ता में जो कुछ हुआ, उसमें न तो गृह मंत्री को उतनी सहानुभूति मिल सकी है और न ही बेचारा जरनैल सिंह उतना हीरो बन सका, जितना कि उसको बन जाना चाहिए था। अजी तो फिर चूक कहां हो गयी। मेरे ख्याल से सारा श्रेय वह नामुराद जूता ले गया, जो फैंके जाने के बाद दुनिया की नजरों में आया, वरना उससे पहले तो उसकी हैसियत एक पत्रकार के पैर की जूती से ज्यादा नहीं थी।
दरअसल यह जूता इतना सैक्सी था कि जिसने भी इसे देखा, रीबाक का मान लिया। वैसे हो सकता है कि यह कोई लोकल जूता हो और हो कोई पांच सौ रुपए के आसपास का, लेकिन उसका लुक इतना हसीन था कि सबको भा गया। उससे जूते के प्रति ही लोगों का प्यार नहीं उमड़ा, बल्कि पत्रकार की हैसियत भी जूते की वजह से बढ़ी। जूता फिंकने के बाद पत्रकार की हैसियत का पता चला और पता चला कि यह वही पत्रकार है, जो नंबर वन अखबार में नौकरी करता है। कहा जा सकता है कि अखबार का नाम रोशन करने में जूते के सैक्सी लुक का बहुत बड़ा योगदान रहा।
वैसे एक पते की बात यह भी है, जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। वह यह कि जरनैल सिंह ने गृह मंत्री पर जूता फैंक कर नहीं मारा, वरन उछाला गया था। उसके द्वारा जूता फैंकने की जो फुटेज टीवी चैनलों में आ रही हैं, उससे साफ पता चलता है कि जूता फैंकने से पहले ही पत्रकार ने मन बना लिया था कि उसे फैंकना नहीं है, बल्कि उछालना है। उछाला भी इस तरह गया कि उसका कोण नब्बे डिग्री का न होकर एक सौ बीस डिग्री के अधिक कोण में ज्यादा था।
जरनैल सिंह की यह प्रीप्लान्ड प्लानिंग हो सकती है और हो सकता है कि उसने यह जूता बनाने वाली कंपनी से पहले कोई डील की हो कि वह उक्त जूता कंपनी का बहुत बढ़िया ब्रांड अंबेसडर हो सकता है। आपको याद होगा कि इराक में जब जूता फैंका गया तो उसके बाद पूरे देश में जूता फैंकने का रिवाज सा चल गया और देखते ही देखते वह जूता बनाने वाली कंपनी जो दिवालिया हो गयी थी, उसे लाखों जूते बनाने के आडर्र मिल गए थे।
ऐसा अपने यहां क्यों नहीं हो सकता। आपको शायद मालूम होगा कि आज बुधवार को जब जरनैल सिंह ने गृह मंत्री का शुक्रिया अदा किया है, उसका कंपनी के फ्रैंचाइजी, वितरक, डीलर व रिटेलर पर कोई फर्क नहीं पड़ा, बल्कि कंपनी से आर्डर निकलने शुरू हो चुके थे। मेरे यहां जैसे छोटे शङरों के जूता दुकानदार ऐसे जूतों को ढूंढ-ढूंढ कर परेशान थे, लेकिन एक पीस जूता नहीं मिल पा रहा था।
जरनैल ने जानबूझकर जूता उछाला, यह तय है। उसे पता था कि जूता फैंक कर मारने में तीन साल की सजा हो सकती है, जैसे कि इराक वाले भाई को हो चुकी है, जबकि जूता उछालने पर कोई आफैंस नहीं बनेगा। जूता उछालने पर कांग्रेस भी खुश हुई और उसे मुकदमा दर्ज न कराने का बहाना मिल गया, जबकि सिख संगठनों को एक मुद्दा मिल गया। तो भइया मेरे, यह लोकतंत्र है, लोकतंत्र का सबसे बड़ा मेला चालू आहे। ऐसे में जो बाजीगरी न कर पाए, वह बेवकूफ है, जरनैल सिंह नहीं। हम पत्रकार जो हमेशा दूसरों को हाईलाइट करते रहते हैं, अगर कभी खुद हाईलाइट होने का ख्याल कर लें, तो इसमें बुरा क्या है।
-पवन निशान्त
http://yameradarrlautega.blogspot.com

2 comments:

अनुराग तिवारी said...

sundar aaklan, kintu joote se itar agar Nyay ki baat karen to hame piditon ki manodasha ko samajhna hoga jahan logo ne unhe gharon se kheench kar aag ke hawale kar diya, dilli me mere kai saathi bachpan me dekhe us bhaywah nazare ko yaad karke kaanp uthte they, maa baap ne us waqt bachchon ki jaan bachane ke liye unke Kesh katwa diye they. Kisi mitra ka ka pita, kisi ka chacha, kisi ka bhai dangon ki bhent chadhab tha.

Zara Sochiye mae sikh nahi hoon na hi un mitron ka bachpan ka saathi kintu mitron ke yah bhyanak anubhav sunkar ek taraf ruh kaanp uthti thi to man aakrosh se bhar uthta tha, to Jarnail singh jinhone yah manzar apni aankhon se dekha tha unki manodasha kya rahi hogi?

Aaj Patrakar Biradari ke log hi Ptrakar Biradari ko sanyam sikha rahe hain, kash ki bhadas4media.com par chapi khabar dekh kar log Varishth Sampadak mahoday ko bhi Langot ka Sanyam Sikha dete.

jamshed said...

Pyare Bhaiyon ye koi akele jarnail singh ka juta nahin hai aur na hi ye akele Chidambram ke pada hai ye joota hai un piditon ka jinhen insaaf nahin mila aur ye juta hai un hukmuranon ke mun par jo insaaf ki kursi pe baith kar nainsafi karte hain, ye juta hai Gujrat sarkar ke ooper,aur nyayepalikayun par jahan gharibon k insaaf nahi milta...Abhi lagta hai ye shuruwat hai... jitni nainsafi badhegi utne hi jute uchlenge hi nahi padenge bhi kyun ke ye loktantra hai!