- प्रजातंत्र के साथ खराबी यह है कि इसमें हर कोई अपने को राजा समझने लगता है | कोई प्रजा बनकर तो रहना चाहता ही नहीं ! ##
- बूढ़े अन्ना हजारे को क्यों मारने पर तुले हो भाई ? ड्राफ्ट तुम्हारा , जिद तुम्हारी और जान ले रहे हो अन्ना की ? यह तो जान ही लो कि अब इतनी भीड़ नहीं जुटेगी उनके अनशन में | बहुत समर्पित हो अपने उद्देश्य के प्रति तो आप अन्य लोग जान देने के लिए अनशन पर बैठो और अन्ना को आशीर्वाद देने के लिए सुरक्षित रखो | वरना उनकी हत्या का पाप तुम पर लगेगा ,और यदि कहीं रामदेव सरीखा सख्त लोकपाल हुआ ,तो तुम लोगों को फांसी की सजा देगा |#
- राजनीति क्यों न रक्तबीज या भस्मासुर का रूप धारण करे ? एक सन्यासी की मौत पर , तथा एक बाबा की मौत की धमकी पर सारे नेता पहुँच गए सहानुभूति की टोकरियाँ लेकर | पर आज दो लड़कों की मौत वी आई पी इलाके में सीवर साफ़ करते समय हो गयी और कहीं कोई आवाज़ नहीं खड़ी हुयी, क्यों ? क्योंकि ये मरने वाले राजनीतिक मुखड़े नहीं थे अन्ना , रामदेव , निगमानंद की भाँति | सभ्य समाज भी कहीं नहीं दिखा | मैं नहीं सनझ पाता ,इन्हें सिविल सोसायटी कहा ही क्यों जाता है ? क्योंकि ये कुछ बड़े और पढ़े -लिखे लोग हैं ? यह तो विद्रूप स्थिति है | कर तो मैं भी कुछ नहीं पा रहा हूँ , लेकिन मैं विचलित हूँ और स्थितियों को इस रूप में सामान्य जनता की ओर से देख रहा हूँ | पाता हूँ कि , यही कारण कि लोग अराजक राजनीति में उछल -कूद कर भाग लेने को प्रेरित होते हैं और राजनीति खरदूषण हो जाती है| ##
- बड़ी गलतफहमियां हैं लोगो को भ्रष्टाचार को लेकर | यद्यपि अनावश्यक है ,पर कहना चाहता हूँ कि कानून कायदों का पूरी तरह पालन करते हुए भी आदमी महा - भ्रष्टाचार संपन्न कर सकता है ,और बिना कोई कागज़ -पत्तर पूरा किये भी कोई व्यक्ति महा सत्यनिष्ठ [Dead honest] हो सकता है | सत्यनिष्ठा नितांत निजी नैतिकता है | और हाँ , याद आया जब आप किसी को dead honest कहते हो तो कभी सोचते हो कि honest आदमी dead क्यों है, या क्यों होता है ? #
17.6.11
Dead Honest
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2 comments:
?!?!?!?!?!?!?!?!?
दोस्तों मै चाहता हूँ कि सरकार मुझसे तथा आप में से भी जो लोग राय देना चाहे उन सभी से लोकपाल , भ्स्ताचार, कालाधन तथा अन्य जो भी विषय है जिनसे देश कि जनता दुखी है पर सरकार बात करे ! क्योकि नागरिक के रूप में वे जिनसे सरकार बात कर रही और हम आप सब बराबर है | लोकपाल ,बाबा ,स्वामी ,धर्मस्थल ,एन जी ओ ,सभी व्यापारियों कि जांचा करने को भी एक सुपर लोकपाल कि जरूरत है | हमारे इस विचार के लिए सरकार हमसे बात करे ,हम लोगो को भी समिति में शामिल करे वरना क्या हम लोगो को भी दिल्ली में अनशन पर बैठने को मजबूर होना पड़ेगा ? पर हम सब भारत के आम आदमी है इसलिए हमारे पास उतना तामझाम नहीं है और न इतना पैसा है ,न संघ या किसी संगठन का समर्थन है तो क्या मीडिया और सभी लोग ,सत्ता और विपक्ष में बैठे लोग हम लोगो पर ध्यान देंगे ? कही ऐसा तो नहीं होगा कि चमक दमक और बड़े घरानों तथा बड़े लोगो या संगठनो का हाथ नहीं होने के कारन मेरा और आप का भी हाल निगमानंद जैसा हो जाये और दिल्ली में हम ;लावारिश मौत मर जाये ? यदि ऐसा हुआ तो हमारे बच्चे तो लावारिश हो जायेंगे ! आप दोस्तों से दो सवाल है १ - क्या मै जिन लोगो के बारे में लिखा है उनकी जाँच करने को भी एक सुपर लोकपाल होना चाहिए जिसका चुनाव सीधे देश के १२० करोड़ लोग करे ? २- क्या आप दिल्ली में अनशन के लिये मेरा साथ देने को तैयार है ? क्या यदि सरकार न सुने तो हमें सर्वोच्च अदालत से अपना अधिकार मांगना चाहिए कि हम भी अन्ना से समान जागरूक नागरिक है इसलिए हमें भी समिति में शामिल किया जाये ? दोस्तों यदि आप लोगो का नैतिक और वास्तविक समर्थन मुझे मिला तो आप लोगो कि राय देश कि सरकार के पास पहुँचाने के लिए मै दिल्ली में अनशन पर बैठूँगा | अन्ना और रामदेव के लिए इतने लोगो ने साथ दिया तो उनसे भी आगे कि मांग के लिए मुझ साधारण आदमी के साथ कितने लोग आते है ? वर्ना वह शेर सही साबित हो जायेगा ;सब लोग ही समझे बूझे है ,सब लोग ही देखे भाले है .बिगड़े का बहनोई कोई नहीं धनवान के लाखो साले है |
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