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7.2.08

*जबलपुर से चले महर्षि महेश योगी ने पूरी दुनिया को शिक्षा दी *

*जबलपुर से चले महर्षि महेश योगी ने पूरी दुनिया को शिक्षा दी *
जबलपुर शहर ने हमेशा ही ऐसे विचारो को जन्म दिया जिन्होंने प्राचीन परम्पराओ और चिंतन शैली को नए आयाम दिए है | जबलपुर शहर से जुड़ा एक नाम है महर्षि महेश योगी जिहोने सारी दुनिया मे धर्म और भावातीत ध्यान की पताका फहराई | महर्षि महेश योगी का जबलपुर शहर से बड़ा करीबी रिश्ता रहा है | जबलपुर शहर के हितकारिणी स्कूल से मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद जी.सी.एफ मे नौकरी करने लगे | इस शहर के ज्ञानियो से लेकर सामान्यजन तक की वैचारिक उदारता धार्मिक सहिष्णुता और धार्मिक चिंतन से वे प्रभावित हुए वगैर न रह सके और उनकी धार्मिक रूचि बढ़ती गई और उनकी मुलाकात स्वामी ब्रम्हानंद सरस्वती से हुई और वे अध्यात्म की ओर मुड़ गए | उन्होंने विश्व के १२४ देशो मे भावातीत ध्यान योग ओर धर्म का प्रचार प्रसार किया | विश्व को शान्ति का संदेश देने के उद्देश्य से उन्होंने जबलपुर के करौदी मे (जोकि भारत का केन्द्र बिन्दु है) १५०० एकड़ मे आश्रम का निर्माण कराया है जो दिनोदिन विशाल आकार ले रहा है जिसमे करीब १५०० पंडितो के रहने की व्यवस्था की गई है | यहाँ से गुरु पूणिमा के दिन विश्व के करीब १०० देशो को वैदिक अनुष्ठान का सीधा प्रसारण ग्लोवल सॅटॅलाइट के माध्यम से किया जाता है | जबलपुर शहर की मदनमहल की पहडियो मे पाट बाबा मन्दिर और शोभापुर के ऊपर की पहाडी महर्षि महेश योगी की तपोस्थली रही है | शोभापुर के ऊपर की पहाडी मे स्थित हनुमान जी का मन्दिर है जिसमे उनकी अटूट श्रध्दा थी जहाँ पर उनके कहने के अनुसार कई वर्षो से लगातार सवा मन शुध्ध घी के पुए चढाये जाते है | हालेंड से वे समस्त विश्व मे वेद का प्रचार प्रसार करते रहे | २११ देशो मे भावातीत ध्यान पहुच चुका है और इसे कई देशो के विश्व विदयालयो ने पाठ्यक्रम के रूप मे अपना लिया है | संतुलित जीवन शैली से जुड़ी ध्यान और योग की भारतीय पारम्परिक विधा से समस्त विश्व को परिचित कराने वाले महर्षि महेश योगी का कल रात हालेंड के एक छोटे गाँव क्लोड्राप मे उनका नि;शब्द महाप्रयाण (निधन) हो गया है | आज हमारे बीच महर्षि महेश योगी नही है परन्तु उनके द्वारा स्थापित बीटल्स ग्रुप की संगीत साधना के दौरान जन्मा गीत " हरी ॐ नमः " खगोल विज्ञान मे नए आयाम स्थापित करेगा और अपनी ध्वनी से अन्तरिक्ष को भी गुंजित करता रहेगा | महर्षि महेश योगी के निधन पर शहर जबलपुर के वासियो की और से विनम् श्रध्दांजलि अर्पित है .....शत शत नमन .....|

2 comments:

अवनीश said...

i don't know,why we reconize people only after there death.we have many politicians,who were awarded "bharat ratna" after there death.why is it that we could know lakshmi mittal, sunita wiliams,amartya sen and many others,only after they were tecognized in foreign? i was never aware of "bhavateet dhyan" antill i could know about mahesh yogee.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मिश्र जी,योगी जी के महाप्रयाण के विषय में बस इतना ही कहूंगा कि हम लोग मुर्दापरस्त हैं तो वही करेंगे ;उनकी प्रचलित मुद्रा "राम" को विदेशों में मान्यता है लेकिन भारत में नहीं ;विप्रवर,एक आदमी भारत से निकल कर ओशो या महर्षि बन जाता है और इधर के लोग हैं कि साले आपस में ही जूतम-पैजार करे मरे जा रहे हैं । हम लोग अपने-अप्ने स्तर पर डंडा करे रहें तो कभी तो बदलाव आयेगा.......
जय भड़ास