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27.2.08

इन सूअरों को आईना मत दिखाइए ये गूंह खाना नही छोरेंगे

सही कहा आपने भदौरिया साहब,आईना शरम से मूत देगा लेकिन इन सूअरों पर कोई फर्क नही पड़ने वाला है। इन्हें गूंह में नाक घुसे रखने में आनंद आता है तो अप्पन नागा लोग काहे का अपना एनर्जी बर्बाद कर एलर्जी लेगा। लेकिन गुरु जी हमको ऐसा लगने लगा है की अपना भडासी बैंड पार्टी का सौंसे महीना का साटा एड्भांस में बुक हो गया है ....सैंकडो ऐतिहासिक विषयों पर हम सबों को आपने वाद्य यंत्रों से स्वर लहरिआं बिखेरनी है। चलो मोर्निंग है....मज्जा आवेगा ''मोरे अंगने में तोमारा का काम है,तोरे अंगने में हमारा का काम है, इ छौरा भड़सिया बल्हो बदनाम है''
त अपना सरकारी स्कूल का छोकरा मेट्रिक में जा कर बुझा की एन सी आर इ टी का होता है वै से पहिने इ लेटर हमरा भैस पनियाबे वाला सुइअया बुझाता था। त भाई जी कल भौजी के दही पहुन्चाबे कुर्सेला जाना था....लिया हरिया ...सोझे कोना कोणी टीशन......''तेरे तीन घंटा बीस मिनट पहले आ रही है...यात्री गन सावधान हो जाएं....'' मैं भी सावधान...एकदम एटेंसन पिलिज ...इ लालू बाबा बजट के टेम में कौन मेनेजमेंट कर रहे हैं....की साली टेरेन इतनी तेज चल रही है....बर्दाश्त नही हुआ....सीधे प्रवेश निषेध को फानते कूदते अपना स्टेसन मास्टर के दफ्तर में.....खालिस मुन्ना भाई स्टाइल में टांग पर टांग चढाये टीशन मास्टर गोल्ड फेलेक हाथ में लिए फूंका-फूंकी में ......सामने लाल हरा पीला बत्ती भूक भाक भूक भाक ......बाजू में एगो ढोरवा छौरा कपार में मुरेठा बांधे माइक पकड़ने है...पेस्सेन्जर्स अत्तेंसनपिलिज......तोरा महतारी के अब समझा इ टेरेन आज इतना फास्ट काहे चल रही है?
वो आपको भी याद होगा ,उत्तर प्रदेश के किसी स्टेसन पर एगो छौरा टेब्ते टेब्ते घुस गया था .....चालक को मुत्वास लगा..बेचारा थोरा आगे बढ़कर चालू है...एन्ने इ ढोरवा गीअर बदल दिया...पता चला टेरेन दो तीन टीशन टप गयी ...गज्जब है इ बाल बुत्रुक सब....तो टेरेन को जब आनी थी उससे दो घंटा बिलंब से आई...और मैं अपना हरिया संभाले गरीब रथ में सवार.....हुल्लुक -बुल्लुक चालू...सीट मिले तब न....वो भी नही मिली...सामने एक विद्वान् उलटा पेपर पढने में मगन थे...यार घर में बीबी पेपरों पढने नही देती है जो टेरेन में आंखों पर जोर ड़ाल रहे हो या हम जैसे गंवार को देखा रहे हो......खैरअपने को क्या था...अपना मेटेरिअल खोजने लगा.....तभी एक पत्रिका पर ध्यान टिका....मामू मसाला....तुरन निकाली पेन ड्राईभ......किया कोपी...अपने पेन ड्राईभ का माने पर्स का पन्ना होता है....और इधर पेस्ट कर रहा हुं......मिजाएज फेर फेन फना रहा है लेकिन थोरा बर्दाश्त कर के ड़ाल रहा हुं इधर फ़िर पुछुन्गा की इन को गाली भी नही .........
आख़िर क्या पढ़ रहे हैं हमारे बच्चे ?
पांचवी में पढने वाले ४५ फीसदी बच्चे नही जानते जोड़ना
''देश के लाखों बच्चों का पढ़ाई से वंचित रहना तो शर्मिंदगी की बात है ही,उससे भी ज्यादा अहम् है की उन्हें क्या पढाया जा रहा है? बदतर स्थिति का अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है की देश के अधिकांश बच्चे जोड़ना घटाना भी नही जानते हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद् की और से एबिलिटी लर्निंग टेस्ट के जरिये किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है की इन बच्चों को भाषा,विज्ञान,सामजिक विज्ञान जैसे विषयों का ऐ बी सी भी मालुम नही है।''
इ अपना बोल रहा है रे दोगला सब....तेरा रिजल्ट बता रहा है की तू लोग स्कूल में कैसे गांड मराते रहता है ...जी सर सचमुच कभी नही सुधरेगा इ पवित्र गुरु लोग.....
जय भडास
जय यशवंत
मनीष राज बेगुसराय

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मनीष भाई,
दम है जान है जोश है
बिलार है मूस है खरगोश है
अरे ये तो कुल मिला कर दहाड़ता हुआ शेर बन गया भइया है न ? सच है भाई आप ऐसे ही लोगों को दहाड़ कर मुताते रहिए,ससुरे कभी तो सुधरेंगे । एक निवेदन है अन्यथा न लें आपकी बात क्षेत्रीय भाषा में लिखी होने के कारण बाकी जगहों के सुअर नहीं समझ पाते हैं और उनका कार्यक्रम जारी रहता है तो जरा खड़ी बोली में डंडा करें.......
जय यशवंत
जय मनीषराज
जय क ख ग घ
जय च छ ज झ
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जय क्ष त्र ज्ञ
जय A B C....Z
पर हर हाल में जय जय भड़ास