आपने सोचा है? ब्लागवाणी डाट काम, जो कि ब्लागों के बारे में बताता है कि किस पर कब क्या लिखा गया, के पहले पेज पर लगातार भड़ास बना रहता है। वजह यह है कि इस ब्लाग की सदस्य संख्या 225 पहुंच चुकी है और हर एकाध घंटे में कोई न कोई भड़ासी पोस्ट डालता रहता है। इस तरह आज अभी मैं ब्लागवाणी देख रहा था तो उसकी नई प्रविष्टियों के पेज पर सबसे ज्यादा जगह अगर किसी ब्लाग ने घेर रखा है तो वो है भड़ास। कुल 18 हेडिंग हैं भड़ास की। उपर से नीचे तक ब्लागवाणी का ये वाला पेज देखिए। सबसे ज्यादा आकार प्रकार में अगर कोई ब्लाग दिख रहा है तो वो है भड़ास। कल्पना कीजिए, जब भड़ास की सदस्य संख्या एक हजार पहुंच जाएगी और हर रोज ढाई सौ पोस्टें लिखी जाएंगी तब ब्लागवाणी के नई प्रविष्टियों वाले पूरे पहले पेज पर सिर्फ और सिर्फ भड़ास ही रहेगा, बाकी दूसरा कोई ब्लाग नहीं टिकेगा, उसे अंदर के पेज पर जाना पड़ेगा।
हालांकि ये कोई बड़ा मुद्दा ब्लागवाणी के लिए नहीं है क्योंकि मैथिली जी और सिरिल जी (पिता पुत्र हों तो ऐसे) की जो ऊर्जावान जुगलबंदी है, टेक्नालजी पर, उससे जरूर ये लोग कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे लेकिन हमारे विस्फोट वाले संजय तिवारी जो तो कल मुझी से कह रहे थे कि वो मांग करेंगे कि ये जो कम्युनिटी ब्लाग हैं, इन्हें ब्लाग एग्रीगेटर अपने यहां से हटा दें या फिर इनके लिए कोई एक नई कैटगरी बनाएं जिसे कम्युनिटी ब्लाग की कैटगरी कहा जाए और इस कैटगरी में जाने पर ही भड़ास और मोहल्ला और चोखेरबाली आदि दिखें।
मैंने संजय जी के सुझाव को भड़ास पर अत्याचार कहकर खारिज कर दिया पर संजय जी का कहना था कि दरअसल भड़ास और मोहल्ला अब बाकी ब्लागों पर अत्याचार कर रहे हैं। भड़ास पर जितना ज्यादा संख्या में लोग लिखते हैं, उससे तो भड़ास घुमा फिराकर ब्लागवाणी के फ्रंट पर हमेशा डंटा रहता है, इससे बाकी ब्लागरों की टीआरपी प्रभावित होती है।
कुल मिलाकर एक मजेदार बहस शुरू हो सकती है।
फिलहाल तो सब सही चल रहा है इसलिए मेरे खयाल से अभी दिमाग लगाने की कोई जरूरत नहीं है, क्यों संजय भाई?
जय भड़ास
यशवंत
20.2.08
तब ब्लागवाणी पर बाकी ब्लागों का क्या होगा?
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3 comments:
विस्फोट बाबु
ब्लॉगवाणी पर भड़ास की मौजुदगी को उसी अर्थ में लें जिस अर्थ में यह है यानी कम्युनिटी ब्लॉग. तकलीफ़ नहीं होगी. टीआरपी उआरपी के चक्कर में न रहें. जिसको आना होगा आ जाएंगे न त सरकने से कौन रोका है किनको. वैसे भी इ रेटिंग फेटिंग के चक्कर में पड़ के लोग चारसौबीसी पचीसी करने लगता है.
कहा भी गया है न कि अकेला चना का भांड़ फोड़ेगा. बुरा न मानना भाई लोग मेरी बात का.
ज़ोर से बोलो, भड़ास पंथ की जय
यशवंत जी,
बडे परिवार को सम्भालना भी बडी सिरदर्दी का काम है मुखिया के लिये भी और पडोसियों के लिये भी :)
दादा,ये तो दूसरॊ का सिरदर्द है कि हमारे उल्टी करने से उन पर क्या असर हो रहा है और वे उसे किस डिब्बे में रखना चाहते हैं और अगर हमार चूतियापे से उपजे डालरों की फसल पर पाला पड़ता हो तो उनसे चिरौरी करेंगे कि भाई सबसे अच्छे डिब्बा दो हमारी उल्टी हुई भड़ास के लिये....
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