मेरे पास कई फोन आ रहे हैं जिसमें तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं। सार संक्षेप यही है कि भई, एक दो पोस्ट एडिट कर दीजिए, बाकी कोई दिक्कत नहीं है।
तो ऐसी स्थिति में मेरा साफ कहना है कि मैं इस विवाद के शुरू होने के बाद अब एक भी गाली भरी पोस्ट को एडिट करने या रिमूव करने नहीं जा रहा हूं। मेरा ब्लागवाणी से निजी अनुरोध है कि वो भड़ास को अपने यहां से हटा दें ताकि शरीफ लोगों को गंदी गंदी बातें सुनने पढ़ने को न मिले। गूगल से अनुरोध है जिन लोगों ने शिकायतें की हैं, उनकी शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए भड़ास पर बैन लगा दे ताकि उनके दिल को शांति मिले और उनकी मठाधीशी चलती रहे।
हमें कोई दिक्कत नहीं, हम अपना नया उगालदान बना लेंगे। ये वाला लगता है पुराना हो गया। डस्टबिन भी नई बनाते रहनी चाहिए, सो भाई लोगों ....लगे रहो......जुटे रहे....डटे रहो.....देखता हूं कितना है गूदा.....।
भड़ास की सबसे कमजोर कड़ी आशीष महर्षि ने थोड़ी सी हवा क्या बही, सूखे पत्ते की तरह भड़ास रूपी पेड़ से झर गए। चलो आशीष, आप को ढेरों शुभकामनाएं, वैसे भी आपने भड़ास का इस्तेमाल हमेशा अपने ब्लाग बोलहल्ला के प्रमोशन के लिए किया था। आपको जब मैंने एक बार इस काम के लिए रोका और ऐसा करने से मना किया तो आपने आगे से न करने की बात कही। उसके बाद से भड़ास पर आप शायद ही कभी कुछ लिख पाये हो। कमेंट भी किया है तो वो पोस्ट को बिना पढ़े किया, सो आप जैसे सूखे पत्तों को हम भड़ासी दिल से चाहते हैं कि इस पेड़ से झर जाएं।
और अभी तो हवा बहनी शुरू हुई है, जब ये आंधी का रूप लेगी तो तब तक ढेर सारे लोग भड़ास रूपी पेड़ से झर झर कर नीचे गिरेंगे। ये अच्छा है, ताकि भड़ास रूपी पेड़ पर फिर नये और ताजे कोंपलें अवतिरत होंगी।
जय भड़ास
यशवंत
29.2.08
भड़ास विरोधी मोर्चाः ब्लागवाणी अपने यहां से हटा दे, गूगल बैन लगा दे...पर मैं एक भी पोस्ट एडिट नहीं करूंगा
Posted by यशवंत सिंह yashwant singh
Labels: आरोप, पाबंदी की मुहिम, भड़ास
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2 comments:
मैं भड़ासी नहीं हूँ, एक माननीय ब्लॉगर साथी के खिलाफ वैमनस्यपूर्ण व्यवहार का पुरजारे विरोध करता हूँ तथापि सामुदायिक मंचों विशेषकर एग्रीगेटरों भड़ास को बैन किए जाने का विरोध करता हूँ...कारण एक से ज्यादा स्थान पर गिनाए जा चुके हैं...ये राहुल वाले नैपकिन नेपकिन विवाद से ये बहुत अलग नहीं हैं।
किंतु आप कृपया शहीदाना वेश अख्तियार न करें... पिछले कुछ अरसे से भड़ास ने जो बाहुबलि की भूमिका में आने और 'कमाउ पूत' बनने की जो लालसा पाली है उसने ही शुद्ध इमानदार भड़ास के स्थान पर छा जाने के तिकड़मी जुगाड़ों को जन्म दिया है।
यह भी ध्यान दें कि इस भड़ास संकट में अनूप, जीतू, देबाशीष जैसे लोग मध्यस्थता करेंगे इसकी भी उम्मीद भी कम हे वरना उन्होंने आपको पहला ही बता दिया होता कि आपकी 'गंदी लड़की नुमा' राह कतई इमानदार भड़ास नहीं है।
खैर आपका भड़ास...आपकी राह
शुभकामनाएं
yshvant bhai mnish ko n koshen uski koi glti nhi sanyat se kam len...agr aap nikla hi shuru kren harkr to pahle mujhe...aap soch len aapka blog ab apni sarthakta ki or hai...aap chahte kya hain...
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