मुनव्वर सुल्ताना और मिस हिज हाईनस का कोई अस्तित्व ही नहीं
दोनों छद्म ब्लाग.जो साहब भी यह बलाग चला रहे हों उनसे मेरा आग्रह है कि समाज की लडाई वह अपने नाम से भी लड सकते हैं. उन्हें यह ढाल नहीं अपनाना चाहिए. समाज की बुराइयों के प्रति सजग होना काबिलेतारिफ है. पर उसके लिए सामने आने का जिगर चाहिएण
27.2.08
मेरा दावा है
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3 comments:
MUKTINATH BHAI JAN KAHUN YA DEEDEE KYA KAHUN APKO..YAR KYA BOLE JA RAHE HO? CHALO AISA KARTE HAIN PAHLE AP SABIT KARO KI AP HI MUKTINATH KE NAM SE BLOG LEKHAN KAR RAHE HAIN.
AJ AISE SHURU HO RAHE HO TO KAL KAHOGE BHADAS CHALANEVALE PROOF LAO...MOHALLA CHALANE VALE PROOF LAO...YAR AGAR AAYE HO TO APNE DAVON KE ADHAR KO SARVJANIK KARO...KAISE DANKE KI CHOT PAR KAH RAHE HO KI YE DONO BLOG-JEEV KA KOI ASTITV HI NAHI HAI.
भई मुक्तिनाथ जी, आप पहले अपना तो परिचय दें। जुमा जुमा दो दिन नहीं हुए मेंबर बने, और आपने दो लोंगों की शख्सियत पर ही सवाल खड़े कर दिए। दूसरों के घरों में शीशे मारने से पहले अपने घर का तो पता बता दें, आप खुद कौन हैं, कहां के हैं, क्या करते हैं......
रही ब्लाग में अस्तित्व होने या न होने की तो यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। सारी फिल्में, सारी कथाएं, सारे धर्म, सारे भगवान......इन सभी को काल्पनिक कह सकते हैं, इन सभी का अस्तित्व मान सकते हैं। मानों तो गंगा, न मानो तो बहता पानी, मानो तो देव, न मानो तो पत्थर....
आप पहले खुद लिखें, अपने लेखन को साबित करें फिर दूसरों से लड़ें.....
जय भड़ास
यशवंत
दादा,मैं मानता हूं कि भड़ास लेखन का मंच नहीं है तो मुक्तिनाथ जी ने मात्र अपने गले में अटकी बात से मुक्ति पाई है आप लोग उनका शिकार क्यों करे ले रहे हैं ? अरे जीने दो भाई सबको ,उगलने दीजिए जो और जितना उगलना है.......
जय जय भड़ास
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