रोजाना अखबारों, टीवी, इंटरनेट और मोबाइल पर बारह राशियों के फलादेश दिए जाते हैं। मैं सोचता हूं कि किसी एक व्यक्ति का दिन बारह राशियों के फलादेश के अनुसार होता भी है कि नहीं। पूरी दुनिया में छह अरब लोग हैं। इन लोगों को बारह भागों में बांट दिया जाए तो प्रत्येक राशि के हिस्से में पचास करोड लोग आएंगे। यानि एक फलादेश को पचास करोड लोगों पर लागू करने की मूर्खता की जाती है। फिर भी लोग रोजाना इसे देखते हैं और अपने दिन का आंकलन भी इसके अनुसार करते हैं। आप बताइए क्या ऐसा संभव है कि पचास करोड लोग आज बहस नहीं करेगे या इन्हें नए मित्र मिलेंगे या फिर लम्बी यात्रा करेंगे। तो क्या है फलादेश का सच
किसी राशि विशेष का दिन आज कैसा जाएगा अच्छा या खराब इस बारे में भी बताया नहीं जा सकता। क्योंकि यह मण्डेन का हिस्सा है और हर व्यक्ति की निजी कुण्डली होती है न कि वह मण्डेन पर चलता है। यानि मण्डेन के अनुसार यदि आज बारिश आनी है तो सबका दिन खराब नहीं होगा। कुछ लोग इसका आनन्द लेंगे तो कुछ लोग जुकाम के डर से अपने कमरे से ही बाहर नहीं निकलेंगे। कुछ लोगों को सुनहरी धूप अच्छी लगती है तो कुछ लोगों के लिए इसे सहन करना ही मुश्किल होता है। इसके अलावा व्यक्तिगत कुण्डलियों में दशाएं भी चल रही होती हैं किसी अच्छी दशा में आपका दिन हर हाल में अच्छा ही जाएगा और खराब दशा में हर हाल में खराब।
26.2.08
क्या आपको यह मूर्खता नहीं लगती?
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