Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

21.2.08

भड़सी कैसे बहस मे आ गए , भागो , भगाओ

यह एक भयानक बात है कि कुछ लोगों बुद्धि-जीवी होने का चोगा ओढ़ रखा । वे महान लोग ( औरत भी ) हैं । बहुत सभ्य। वे बहुत गम्भीर बहस करते हैं । हम उनकी बहस को समझने लगें तो उन्हें दिक्कत होने लगती है । तुम जाहिल गवार लोग कैसे समझ पाओगे , हमारी बात । वे बहस खाते हैं , पीते हैं और बहस करते -करते सो जाते हैं । वे बाकि कुछ नही करते । एक भी गंदी या अश्लील बात नही करते । सफेद , साफ सुन्दर कपडे पहनते हैं । हीरे -जवाहरात खाते हैं । ऐ सी मी रहते हैं । वे हगते मुततेनही , सम्भोग नही करते गुस्सा नही करते , एक शब्द अपशब्द नही बोलते । उनकी संताने भी ह्गती मुतती नही । ये तो भड़सियों ने गंध फैला रखी है नही तो ये लोग शब्दकोशों से भी ऐसे शब्द चुन-चुन कर निकल फेंके । यशवंत भाई बौधिकों को इलाके मी जाकर आप बहस करें , आप तो गंदे भादासी हैं , बुरे और बदतमीज हैं । वे महान हैं , भड़सियों कि क्या औकात कि उनकी बहस मी हस्तक्षेप करें । दरअसल बहस करना उन्हें आता है ,उनका यह कम है -आप जल्दी बदलाव के चक्कर मे है जबकि वे देर तक बहस ईंजोय करना चाहते हैं (चाहित हैं )। बात बुझा करो भड़सियों .....

जे भड़ास

1 comment:

Anonymous said...

hare bhaiya ...vo sssale bujhe tab na...bas aise hi larte rahna hai hame un chution se....
jay bhadas
jay yashvant
jay rupesh
jay ham jay tum jay sab jay sampurn......