एक बात तो साफ़ हो गयी है कि भड़ास पर आना ही लोगों को अच्छे स्वास्थ्य से जोड़ देता है तभी तो मेरी दुकान खाली पड़ी है । मुझे घेर घार कर यह कह-कह कर समझावन दी गयी थी कि डाग्डर भइया ये साले प्रोफ़ेशनल लोग बड़े खतरनाक होते हैं । चिकित्सक और पैथोलाजिस्ट साले इलाज के नाम पर पूरे महीने के बजट का जम कर बलात्कार करते हैं ,इसलिए अपने ज्ञान(?) का हम भड़ासियों को भी फ़ायदा दो तो हमने साला आयुषवेद नाम से फ़्री में बजवाने की दुकान खोल ली पर कोई आता ही नहीं है । कुछ दिन देखेंगे फिर दुकान को ताला लगाकर चाभी समुन्दर में फेंक देंगे । काय कू खाली-फोकट दिमाग का दही करने का ??? जब किसी को गरज नईं........
अब्ब्बीईई ये तुम लोग को जुलाब का पुड़ी दिया देखो कौन-कौन पोंकता हुआ आता है आयुषवेद पर.....
जय जय भड़ास
16.2.08
जुलाब का पुड़ी लो और पोंको
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