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25.2.08

मनीषा पर बहस क्यों

मैं सभी भडासी साथियों से एक सवाल करना चाहता हूं कि आखिर मनीषा पर बहस क्यों. क्या भडासियों के पास मुद्दों की कमी हो गई या हम एक तिल को ताड बना रहे हैं.
मसिजीवी जी को एक शंका थी और उन्होंने उसका समाधान चाहा था. मैं नहीं मानता कि वह गलत थे. सूचना का अधिकार सबको है और उनकी भी शंका का समाधान होना ही चाहिए. भडास पर अपनी भडास निकालने का हक सबको है. चाहे वह लडकी हो या समाज से वंचित कोई हिजडा. मैं पूरी तरह इसके हक में हूं. लेकिन बेवजह किसी को भडास के माध्यम से बदनाम किया जाए यह वाकई गंभीर और चिंताजनक है. हालांकि मुझे पूरा विश्वास है कि कोई भी भडासी साथी ऐसी हरकत नहीं कर सकता. साथ ही मैं डा रूपेश से यह गुजारिश करना चाहूंगा कि वह मनीषा हिजडा को सामने आने के लिए प्रेरित करें या उनसे कहें कि वह अपना नंबर अपनी पोस्ट में डालें ताकि भडास पर लगे इस बदनुमे दाग को धोया जा सके. भडास में मनीषा हिजडा का मैं तहे दिल से इस्तकबाल करता हूं और निश्चय रूप से उनसे हम सब इस दुनिया का एक नया पहलू सीख सकेंगे. वह यहां लिखें और खूब लिखें.

3 comments:

Ashish Maharishi said...

बिलकुल, पूरी तरह से सहमत। यदि हम पारदर्शिता नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा, डॉ साहब बताईए कब मिलने आऊं

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भड़ासधर्मी भाइयों और बहनों,चलिए मसिजीवी भाई के सवाल के बहाने आप लोगों का ध्यान मनीषा दीदी जैसे लैंगिक विकलांग लोगों की तरफ़ तो गया। अब भाई लोग जैसा प्रेम और करुणा आशीष भाई ने दिखाया वैसा आप लोग भी दिखाइए । मनीषा दीदी हों या उन जैसा कोई अन्य, आप उन्हें उनकी वास्तविक आइडेन्टिटी या योग्यता के आधार पर कोई नौकरी, मोबाइल या राशन कार्ड दिलाने की कोशिश करिए । उनके जैसे कितने लैंगिक विकलांग आपके आसपास सहज ही मिल जाएंगे उनसे बात करिए,हिचकिचाइए मत वे हमारे ही समाज से छिटक कर अलग हो गए बच्चे हैं । एक बात ध्यान रखिए कि "हिजड़ा" शब्द के प्रयोग से बचिए क्योंकि यह शब्द तिरस्कार का पर्याय है उनके लिए उन्हें दीदी,मौसी, अम्मा ,ताई या फिर बुआ बुलाइए ;रिश्ते और सम्मान दीजिए फिर देखिए अगर आपके लिए जान न दे दें तो कहिएगा ,भाई लोग प्रेम में बड़ी ताकत होती है । सभी भड़ासी भाई बहनों से एक निवेदन है कि मनीषा दीदी के लिए आगे से यह तिरस्कारपूर्ण शब्द प्रयोग न करें ।
जय भड़ास

Unknown said...

achchha sujhav hai dr. sab