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16.2.08

चोरी पर चुप्पी: सृजन गाथा के जयप्रकाश मानस भी खामोश हैं :

मेरी भास्कर में छप चुकी रचना का तनवीर जाफरी के नाम से प्रकाशन

भाइयो

विशेष कर पत्रकार बंधू

हरियाणा तनवीर जी ने मेरे व्यंग्य को अपने नाम से छपवा कर जो गलती की है वो क्षमा योग्य कतई नहीं है । उससे बड़ी गलती सृजनगाथा के सम्पादक जी कर रहे हैं मेरे लगातार भेजे जा रहे इ-मेल का ज़बाव न देकर ।

तनवीर जी का पता है:-तनवीर जाफ़री
सदस्य हरियाणा साहित्य अकादमी
2240/2, नाहन हाऊस
अम्बाला शहर, हरियाणा
मेरी व्यंग रचना का लिंक नीचे है

इस साहित्यिक भ्रष्टाचार को रोकने चौथे स्तम्भ से मेरी मार्मिक अपील है । यदि जय प्रकाश मानस सम्पादक सृजन गाथा से ये गलती तकनीकी कारणों से हों गयी हों तो मैं माफ़ कर सकता हूँ किंतु तनवीर जाफरी जी ने यदि इस रचना को पोस्ट किया होगा तो मैं उनके खिलाफ़ कानूनी कारर्वाई ज़रूर करूंगा। फ़िर कोई वज़ह नहीं है माफ़ करने की । हरियाणा के मीडिया कर्मी इस मसले को उठा कर मेरा सहयोग करेंगे ....मुझे विश्वास है। साहित्य को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने में आपका योगदान हिंदी साहित्य की रक्षा के लिए कदम होगा ।

लिंक: http://www.srijangatha.com/2007-08/july07/vicharvithi.htm

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अरे भाई क्या अब तक इन्हें डालने के लिये डंडा नहीं मिल पाया या फिर कोई और समस्या है ?

Girish Kumar Billore said...

dandaa to mil gaya daalana kahaan hai soch rahaa hoo dada