कर जुल्मों सितम तुम्हारी हिम्मत जहां तक है.
हम देख रहे हैं तेरे जुल्म की इंतहा कहां तक है
वफा की उम्मीद तुमसे किसको है,
हम तो देख रहे हैं तू बेवफा कहां तक है.
तुम कांटे बिछाओ, हम चलने के लिए तैयार हैं.
तुम आग जलाओ, हम जलने के लिए तैयार हैं.
तुम ज़हर तो लाओ, हम निगलने के लिए तैयार हैं.
हारे तो क्या हुआ, तुम्हारी जीत का जश्न मनाएंगे
तुम जीतकर भी तन्हा, हम हारकर भी गीत गाएंगे
तुम्हारी ठोकर बुरी नहीं, इसे खाने के बाद तो हम
मंजिल पाएंगे.
18.2.08
हारे तो क्या हुआ, तुम्हारी जीत का जश्न मनाएंगे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment