हे भड़सिओं,
मैं आपसे करबद्ध प्रार्थना करता हूँ कि लड़कियों पर ऐसे पिल न पडें। उन्हें भी जूतियानें दें, हमें गरियाने दें । हम कौन से दूध से धोए लोग हैं कि कोई हमारी निंदा नही कर सकता । अगर हम बुरे लोग हैं तो लोगों को हमे अधिकार देना चाहिए कि वे हमे दूध पी-पी के कोसें,हमारी ऐसी-तैसी करें, मुंह में फेन भरकर हमें गलियएं (अगर वे और अच्छे हैं तो श्राप या आशीर्वाद जैसा कुछ दें ), जो चाहे सो करें । अगर यह अधिकार हम दूसरो को नही दे सकते , तो यह अच्छी दुनिया हमे ही नहीं हमारी बुराइयों समेत हमारे सारे चिन्ह दो मिनट मे पोछ देगी । भाडिसियों, दरों कि हम अच्छे नहीं हैं,हम बुश नहीं हैं,हम मुश नहीं हैं। लड़कियों ने अगर हमारे प्रति बेरुखी अख्तियार कर लिया तो बहुत सम्भव है हम बुश या मुश हो जाएँ , जो कि हम होना नही चाहते, न होना चाहेंगे । सोचिये हम दारू पीते हैं तो क्या हमारी प्रेमिकाएँ या पत्नियां हमे बुरा भला कहती है कि नहीं ? तो क्या हम उसका बुरा मान जाते हैं? वे तो हमारी भलाई के लिए ही सोचती है । हे बुरे लोगों लड़कियां चाहे जितनी बुरी भली हों , दुनिया को बनाये और बचाए रखने का बड़ा दायित्व उनके जिम्मे है , हमे उनका बुरा नही मानना चाहिय । हमे उनकी बातें धैर्य से सुनना चाहिए , सोचना चाहिए । हम बुरे हैं तो हमे बुरा क्या मानना? बिना लड़कियों के प्यार और अनुशासन के न हमारा जीना सम्भव है न मरना । हे भड़सियों, अधिक से अधिक लड़कियों के लिए हम स्पेस बनाएं, वे ही हमें , बचएँगी, हमे जिंदा रहने की वजह देंगी । लड़कियों के बगैर किसी दुनिया के कल्पना से ही मेरे पसीने छुट जाते , मैं बेचैन हो जाता हूँ । हे भड़सियों , मेरे उपदेश के लिए मुझे क्षमा krna mai nhi janta mai kya kr rha hoon.
19.2.08
नहीं , नहीं लड़कियां कहीं नहीं जाएंगी
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7 comments:
भाई हरेप्रकाश जी, आपने ठीक कान उमेठा है हम भड़ासियों का। आपका कहना बिलकुल सही है कि अगर हम बुरे हैं तो हमें बुरे कहने का कोई अधिकार ले रहा है, या इसी अधिकार से हमें बुरा कह रहा है, या वो चाह रहा है कि हम बुरे की बजाय अच्छे बन जाए तो इसमें गलत क्या है?
उम्मीद है, आप इसी तरह भड़ासियों को संरक्षण व निर्देशन प्रदान करते रहेंगे।
यशवंत
hare bhai apke sanrakshan aur nirdeshan ke kiye sadhuvad.....
are ye kya kh rhe hain aap log maine to apna bhadas nikala hai, aap sb apna nikalen mai kaun hota hoon sanrakshan aur nirdeshn krnevala, mai to khud bahut bura hoon...
कितना अच्छा हो की लड़कियों को सिर्फ़ लड़की रहने दिया जाए.न टू उनपर अच्छा होने की तोहमत हो और न बुरा बनने का दबाव
bilkul, ve jaise chahe rhen, jaise chahe rakhen.
पंडित जी,बेशरम के फ़ूल से गुलाब बनने की उम्मीद रखो तो उसके चिथड़े हो जाते हैं पर मौलिकता नहीं खत्म होती वैसे ही हम सबकी अपनी-अपनी सुगंध (या दुर्गंध)है उसमें हमारी निजता है । क्यों कोई बदल कर खुद को काटे-छांटे कि हम हम ही न रहें किसी अच्छे आदमी का सस्ता संस्करण बन कर रह जाएं.....
eeho bat thik hai guruj, hm bhatak gaye hon to maf krna, apn bure hain to bhtkenge hi, kya?
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