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21.2.08

भड़ास और गालियाँ पर मेरी दो टिप्पणियों पर गौर फरमाएं

टिप्पणी एक

गाली न देना भला
लेना तो कोई चाहता ही नहीं
न देंगे आप तो ही लाभ
बिना गालियों के भी तो
कर सकते हैं प्रलाप
आलाप विलाप
सता सकते हैं संताप
बुझ सकते हैं
दिमाग के ताप
फिर क्यों गाली
जो हैं गन्दी नाली
उसे सूंघ सूंघ कर
भाषा गन्दी कर डाली
डाली होती है अच्छी
फूलों की हो या पेड़ की
डाली पर क्यों उगे गाली
चलो गाली वाली डाली
तोड़ डालें यशवंत भाई आप
कुछ गलत हो गया हो
तो कर दें माफ
पर मत करें गालियों में बात.

टिप्पणी दो

डाक्टर साहब,
आप तो इलाज करने वाले हैं, भगवान के समरूप.
यह तो मैं भी जानता हूं कि मेरे कहने से कुछ नहीं होने जाने वाला.
मैं कुछ करूंगा भी नहीं, इतना तो है आपको विश्वास भी.
मुझे भी है विश्वास कि आप सुधार कर नहीं पढ़ेंगे, पर उम्मीद है कायम कि जो सुधरना चाहते हैं, वे सुधर ही जाते हैं, वैसे इसके अपवाद भी हैं बहुत. इसके ही क्यों, अपवाद तो सभी के होते हैं. आप न तो सुधरें, न सुधार कर ही पढ़ें, हमने सारे जमाने का ठेका थोड़ी ले रखा है, न ही इच्छा रखते हैं.
आप कह भी चुके हैं कि हम क्या कर लेंगे, हमने स्वीकार भी लिया है कि हम कुछ नहीं करेंगे और करना भी नहीं चाह्ते हैं.
रही बात तानाशाही की तो मुझे तो किसी भी कोण से यशवंत भाई न तो ताना देने वाले ही लगते हैं, और जो ताना नहीं देगा उसकी फितरत में तानाशाही तो होगी ही नहीं.
आप न जाने क्यों उन्हें हिटलर बताना चाह रहे हैं.हमें तो वे जन जन के चहेते, हर जन के चहेते नज़र आ रहे हैं,उनकी दिनोंदिन बढ़्ती लोकप्रियता तो यही जतला रही है. आप ही बतलायें कि क्या वे आपके चहेते नहीं हैं या आप उनके चहेते नहीं हैं. हम भी उनके चहेते हैं, वे भी हमारे चहेते हैं, इसलिये हम भी चहक रहे हैं, पर क्या आपको लगता है कि बहक रहे हैं.
हरे प्रकाश उपाध्याय जी का कहना भी सही है कि नियम नहीं बन सकता, मैं भी कहता हूं नियम नही बनना चाहिये क्योंकि नियम में है यम चिपका. और चिपकाना चिपकना पिचकना नहीं कभी भी अच्छा.
हम फिर भी कहेंगे कि गाली नहीं बन सकती कभी अच्छा रस्ता. न बनें इतना सस्ता. शेयर की तरह चढ़ें, पर गिरें मत शेयर की तरह. रहें शेर की तरहा, जैसे रहते हैं यशवंत प्रहा (भाई).

2 comments:

तन्‍वी said...

गालियों में कैसा मज़ा
हमें तो लगती है सज़ा

बच्चों के साथ जब पढ़ नहीं सकते ब्लाग
तो कैसे जगेगा सारे ज़माने में ब्लाग प्रकाश

Unknown said...

bachchhon ke sath to aap kuchh bhi nhi kr skte, bibi se pyar bhi nhi , to kya isilie bibi ko chhod dijiega? drsl dos smjh ka hai...bachchhon ko dhal n bnaen...j