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3.2.08

इतने भुलक्कड़ हैं

हम लोग इतने भुलक्कड़ हैं कि बड़ी -बड़ी बाते सहज ही भूल जाते हैं ,कुछ थोड़ा सा टोचन देना जरूरी मानता है । साली चिढ़ सी होने लगती है इस बात से कि क्या भगवान ने भुलक्कड़पन की मिट्टी से ही बनाया है या कुछ और भी मिलाया था । मैंने एड्स वाला मामला बताया तो किसी ने उस पर पादा तक नहीं लोगों को लगता है कि राज या खाज ठाकरे का हगना बताना जरूरी है । अरे भाई लोग जस्टिस आनंद सिंह की बात करो ताकि दबाव बन सके कि कुछ सुनवाई हो सके । यार दिमाग घूमा हुआ है इस लिए ज्यादा लिखने का मन नहीं हो रहा ।
जय भड़ास

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