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2.10.08

'समय' की खास मुहिम बंदे में था दम

बंदे में था दम...

हिंसा है...
नफरत है...
भरोसा टूट रहा है...
सच को दबाया जा रहा है...
झूठ भारी पड़ रहा है...
ईमानदार अकेला है...
भ्रष्टाचारी समूह में है...
लेकिन इस दौर में भी...
एक सुकून है...
एक राहत है...
कि
गांधी जिंदा हैं...
बापू हैं हमारी यादों में...
बापू हैं दुनिया की यादों में...
दुनिया ने माना है लोहा...
राष्ट्रीय नहीं अंतर्राष्ट्रीय हैं बापू...
2 अक्टूबर है आज
"अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस"
बापू की वापसी हुई है
क्योंकि
उनका जीवन ही संदेश है
वो उम्मीद की रोशनी हैं
वो आज भी बदल सकते हैं
हमारा कल
इसीलिए "समय" ने की है
खास पहल
क्योंकि "बंदे में था दम"

आज 2 अक्टूबर है...देश के लिए गांधी जयंती और दुनिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस...हिंदुस्तान में स्वराज की, आजादी की बापू ने जो कल्पना की थी...वो शायद कहीं खो गई है...आज बापू होते तो शायद यही कहते कि कौरवों के कंधों पर बैठा भारत धृतराष्ट्र जैसा बन गया है...हर पल अपनी छोटी-छोटी बातों से जीवन को संदेश बना देने वाले महात्मा गांधी के जीवन का संदेश क्या किसी ने समझा है...ठीक से पढ़ा है...यूं तो गांधी को जानने समझने के लिए शायद कई जन्म लेने पड़े...लेकिन हमने कोशिश की है संवेदना के उस स्तर को आप तक लाने की...एक मुहिम छेड़ी है हमने आपके लिए... क्योंकि कहीं न कहीं बापू का व्यक्तित्व हर किसी को ये आभास देता है कि वाकई " बंदे में था दम..."

हिंदुस्तान ने अपनी आजादी की आधी सदी के बाद समाजवाद से किनारा कर लिया... आज पूंजीवादी दुनिया में उतरने की होड़ है...हर तरफ उथल पुथल है...देश आधुनिकता की राह पर चलने के लिए विश्व का हमराह बनना चाहता है...लेकिन प्रगति की दौड़ में सबको साथ लिए बगैर चलना मुश्किल है...तो ऐसे कौन से विचार हैं जिन पर चलने से हमें 'कंपलीट डेवलेपमेंट' का रास्ता मिल सकता है...वो कौन से विचार हैं जो बढ़ रही हिंसा...असुरक्षा और भय से मुक्ति दिला सकें...तब निगाहें टिकती हैं...न सिर्फ देश की बल्कि सम्पूर्ण विश्व की...एक एक ऐसे इंसान पर...जिसे हम बापू कहते हैं...दुनिया उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानती है...जिसमें था जमाने को हिलाने का दम...जी हां 'बंदे में था दम' ...

-हितेंद्र कुमार गुप्ता
( हितेंद्र कुमार गुप्ता 'समय' न्यूज चैनल में सीनियर प्रोड्यूसर हैं...
mail to >> hitendrak.gupta@saharasamay.com )

10 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

jee ha hamne bhee dekha tha bande main hain dam

Unknown said...

Bande mein tha dum...Samay ko iss muhim ke liye saadhuvaad...

thanx
rahul

Unknown said...

Samay ko iss muhim ke liye saadhuvaad


thanx

Rahul

Unknown said...

samay ko iss muhim ke liye saadhuvad

Rahul

Anonymous said...

बड़े भैया,
इसी आधुनिकता का सपना गांधी जी ने भी देखा था, दुनिया से रेस में पीछे नही होने का सपना गांधी ने देखा था, आज गाँधी के सपने साकार हो रहे हैं तो गाँधी का चोला पहनने वालों को गांधी जी याद आ रहे हैं, आप ख़ुद सोचो कि आप तकनिकी के माध्यम वाले टी वी चैनल में हो, क्या आप कटिंग पेस्टिंग वाले अखबार को वापस लाना चाहते हो.
जय जय भड़ास

Anonymous said...

बहुत बढ़िया। कोई तो आगे आ रहा है। वाकई अब ऐसे ही मुहिम की जरूरत है। आपने जिम्मेदार मीडिया का अहसास तो कराया। मैंने आपकी एक और मुहिम देखी थी...संभालो यारों...तब मुझे लगा था यूं ही बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। लेकिन अब ये एक सीरियस एफर्ट नजर आ रहा है। उम्मीद है आगे भी ऐसी मुहिम जारी रहेगी। KEEP IT UP!

smriti@post.com

Anonymous said...

Good. Campaign is really good, but it should be continued with same pace. Hope for the best.
monika joshi, Dehradun

Anonymous said...

Gandhi ji ko gaye jamana ho gaya... lekin unke dikhaye raste aaj v prasangik hai... hum aaj v jab pareshan hote hai to bapu ko yaad karte hai... isiliye aaj v jab mahapurush ki baat hoti hai to bapu ka naam sabse pahle aata hai... aur ab to duniya ne v unka loha maan liya hai... aise me SAMAY ki ye muhim jaruri ho jata hai... samaj ko aina dikhane ke liye...
ranjankp2002@yahoo.com

kahekabeer said...

अच्छा है, बंदे में था दम .. इसमें कोई शक तो हो ही नहीं सकता .. लेकिन काश वो बंदा आज की हालत देख रहा होता ... बहरहाल, उस बंदे को मेरी श्रद्धांजलि ...।

kahekabeer said...

अच्छा है, बंदे में था दम .. इसमें कोई शक थोड़े हो सकता है कि बंदे में था दम... लेकिन... काश वो आज की हालत देख रहा होता .. बहरहाल , उस बंदे को मेरी श्रद्धांजलि